धर्म

आत्मा को जानना और भगवान को पाना ही सच्चा सुख—संत सदानंद महाराज

आदमपुर,
सिर्फ धन कमाने या रोजी-रोटी चला लेने से मनुष्य जीवन में सुखी नहीं रह सकता। यह सुखी रहने का बाहरी भौतिक उपाय है। अपनी आत्मा को जानना और भगवान को पाना ही सच्चा सुख है। यह बात प्रणामी मिशन के प्रमुख संत स्वामी सदानंद ने आदमपुर प्रणामी सत्संग भवन में सरिता सचदेवा द्वारा आयोजित सत्संग में श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने गुरु के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गुरुओं के महागुरु भगवान स्वयं प्रत्येक व्यक्ति के हृदय में विराजमान हैं लेकिन बिना किसी बाहर के योग्य गुरु की मदद के हम अपनी आत्मा को नहीं जान सकते। यह आध्यात्मिक गुरु ही अन्तरात्मा के बंद द्वार खोलता है और हमें भगवान से साक्षात्कार कराता है।

माँ का ज्ञान और शिक्षक द्वारा दिया गया ज्ञान बाहर का ज्ञान है, वस्तुओं का ज्ञान है परन्तु आध्यात्मिक गुरु द्वारा दिया गया ज्ञान आंतरिक ज्ञान है। वह भीतर के अंधकार को दूर कर उसे प्रकाशित करता है। बाहर की वस्तुओं का कितना भी हमें ज्ञान प्राप्त हो जाए हम कितने भी बड़े पद पर हों, कितना भी हमारे पास पैसा हो परन्तु बिना भीतर के ज्ञान सब कुछ व्यर्थ है। बाहरी ज्ञान, मन-बुद्धि का ज्ञान-विज्ञान है परन्तु आध्यात्मिक ज्ञान मन से परे भगवान का ज्ञान है।

इसीलिए कहा गया है कि ‘गुरु-गोविंद दोऊ खड़े काके लागूं पांय, बलिहारी गुरु आपनो जिन गोविंद दियो मिलाय।’ यानी भगवान से भी अधिक महत्व गुरु को दिया गया है। यदि गुरु रास्ता न बताये तो हम भगवान तक नहीं पहुंच सकते। अतः सच्चा गुरु मिलने पर उनके चरणों में सब कुछ न्यौछावर कर दीजिये। उनके उपदेशों को अक्षरशः मानिये और जीवन में उतारिये। सभी मनुष्य अपने भीतर बैठे इस परम गुरु को जगायें।

इस अवसर पर नरेश सचदेवा, अशोक सिसवालिया, भालसिंह, गोपाल सिवानीवाले, राकेश सिहाग, सीएम नवीन अग्रवाल, नितिन कथूरिया, सुभाष प्रणामी, मामराज मिश्रा, रामचंद्र शर्मा, रामबिलास गोयल, सुशील अग्रवाल सहित काफी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।

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Jeewan Aadhar Editor Desk

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