कहा, स्कूल स्तर पर परीक्षा करवाने की इजाजत दे सरकार
हिसार,
सरकार तथा शिक्षा विभाग द्वारा 10वीं कक्षा की परीक्षा रद करने का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है। परीक्षा रद करने से शिक्षा के स्तर में गिरावट आएगी और बच्चों के मानसिक स्तर पर असर पड़ेगा।
यह बात हसला के पूर्व राज्य महासचिव एवं पूर्व जिला प्रधान दलबीर पंघाल ने एक बयान में कही। उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग द्वारा कोविड-19 के चलते ऑनलाइन पढ़ाई करवाई गई थी। ऐसे में ऑनलाइन परीक्षा ली जा सकती थी या स्कूली स्तर पर भी ऑफलाइन परीक्षा ली जा सकती थी। उन्होंने कहा कि स्कूली स्तर पर परीक्षा ना होना शिक्षा की गुणवता पर सवाल खड़े होते हैं।
दलबीर पंघाल ने कहा कि 10वीं व 12वीं कक्षा परीक्षा अवश्य ली जानी चाहिए। बोर्ड अपने स्तर पर परीक्षा नहीं करवाना चाहता तो कम से कम स्कूल स्तर पर ही परीक्षा करवाने की इजाजत रारकार व शिक्षा विभाग को देनी चाहिए। परीक्षा नहीं होने से मेहनती बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ होगा। इसलिए सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए।
हसला पूर्व जिला प्रधान दलबीर पंघाल ने सरकार तथा शिक्षा विभाग द्वारा स्कूल प्राध्यापकों के लंबित एसीपी के मामले तथा स्कूल प्राध्यापकों की प्राचार्य पद पर पदोन्नति की अनदेखी करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सरकारी स्कूल बिना प्राचार्य के चल रहे हैं, जिसके कारण स्कूलों के रोजमर्रा के कार्य तथा विद्यार्थियों की पढ़ाई बाधित हो रही है। उन्होंने बताया कि इसके बारे में संगठन सरकार तथा शिक्षा विभाग को मौखिक व लिखित रूप से अवगत करवा चुका है, लेकिन आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला है। उन्होंने संगठन की तरफ से मांग की कि सरकारी स्कूलों में रिक्त प्राचार्य के पदों को अविलंब स्कूल प्राध्यापकों की पदोन्नति से भरा जाए।
दलबीर पंघायल ने बताया कि शिक्षा विभाग द्वारा 4 मार्च 2014 को एसीपी को लेकर 8, 16 व 24 वर्ष की नियमित व संतोषजनक सेवा के बाद स्कूल प्राध्यापकों व अन्य शिक्षकों को एसीपी का लाभ दिया जाता है, लेकिन शिक्षा विभाग में शिक्षा निदेशालय में स्कूल प्राध्यापकों के हजारों एसीपी के मामले लंबित हैं। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने करीब तीन माह पहले मीडिया में बयान दिया था कि हरियाणा के किसी भी कर्मचारी को एसीपी मामला भेजने के बाद 3 महीने की देरी होती है तो डीडीओ द्वारा एसीपी का लाभ दिया जाए। इस पत्र में सरकार तथा शिक्षा विभाग द्वारा कोई पत्र जारी नहीं किया गया है। लेकिन एसीपी के मामले निदेशालय स्तर पर एक साल से लंबित हं। एसीपी को लेकर स्कूल प्राध्यापकों में सरकार तथा शिक्षा विभाग के प्रति भारी रोष है। पूर्व राज्य महासचिव दलबीर पंघाल ने बताया कि वर्ष 1996 में सरकार द्वारा सीधी भर्ती में नियुक्त स्कूल प्राध्यापकों को 25 वर्ष की नियमित संतोषजनक सेवा के बाद प्राचार्य पद पर पदोन्नति का लाभ नहीं दिया जा रहा है जो तर्कसंगत नहीं है।