इफको की ओर से नैनो-यूरिया-परिचय एवं फसल उत्पादकता में महत्व विषय पर वेबिनार आयोजित
हिसार,
कृषि क्षेत्र में फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए यूरिया के स्थान पर नैनो-यूरिया का उपयोग एक क्रांतिकारी कदम साबित होगा।
यह बात यहां के हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कांबोज ने कही। वे सहकारी संस्था इफको द्वारा नैनो-यूरिया-परिचय एवं फसल उत्पादकता में महत्व विषय पर आयोजित वेबिनार को संबोधित कर रहे थे। मुख्य अतिथि ने आह्वान किया कि विश्वविद्यालय व इफको संयुक्त रूप से तकनीकी जानकारी व सुविधाओं को सीमांत क्षेत्र में स्थित छोटे से छोटे किसान तक पहुंचाने का कार्य करें। साथ ही उन्होंने किसानों के लिए कम लागत व अधिक उत्पादन बढ़ाने के लिए तकनीक विकसित करने पर जोर दिया और कहा कि शोध एक निरंतर प्रक्रिया है और विश्वविद्यालय किसानों के हित के लिए लगातार प्रयासरत है। विश्वविद्यालय जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए निरंतर किसानों को जागरूक कर रहा है। साथ ही बॉयो फर्टिलाइजर को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय ने एक लैब भी स्थापित की है ताकि केमिकल फर्टिलाइजर के प्रयोग से बचा जा सके। उन्होंने कहा कि जल, जमीन और पर्यावरण संरक्षण के अनुकूल नाइट्रोजन उर्वरक उत्पाद परिवहन, भण्डारण और प्रयोग में सुविधाजनक हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय व किसानों के अपने स्तर पर इनके प्रदर्शन परिणाम उत्साहवर्धक रहे हैं। जहां फास्फोरस व पोटाश जैसे पोषक तत्व जमीन में भंडारित हो सकते हैं, वहीं नाइट्रोजन जोकि अत्यंत घुलनशील है, इसमें यूरिया के स्थान पर नैनो यूरिया का प्रयोग किया जाना एक क्रांतिकारी कदम है। उन्होंने इसके लिए कृषकों व इफको को बधाई दी। साथ ही कृषि विज्ञान केंद्रों को इसके प्रचार-प्रसार व उपलब्धता के लिए प्रेरित किया। इफको के राज्य प्रबंधक डॉ. पुष्पेंद्र वर्मा ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया।
एक बैग यूरिया के बराबर आधा लीटर नैनो यूरिया है कारगर
नैनो टेक्नॉलोजी के महाप्रबंधक डॉ. रमेश रलिया ने नये उत्पाद नैनो यूरिया के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यह एक तरल उत्पाद है। इसकी आधा लीटर मात्रा यूरिया के एक बैग के बराबर उत्पादन की क्षमता रखती है। इससे नाइट्रोजन पोषक तत्व की फसल को पूर्णतया आपूर्ति होती है और जल, जमीन और पर्यावरण का भी संरक्षण होता है। इफको के विपणन निदेशक योगेंद्र कुमार ने बताया कि यह भारत सरकार द्वारा अनुमोदित विश्व का प्रथम उत्पाद है जो सभी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुकूल बनाया गया है। इसकी लागत परम्परागत यूरिया से कम पड़ती है। कृषि विज्ञान केंद्र रेवाड़ी से डॉ. अनिल यादव ने टिकाऊ खेती में इफको के जैव उर्वरकों, बायो उत्पादों व नैनो सागरिका उर्वरकों के महत्व पर चर्चा की। सीएससी नई दिल्ली से प्रबंधक निदेशक डॉ. दिनेश त्यागी ने कृषि विकास में डिजिटल तकनीकी के माध्यम से ग्राम व किसान विकास मॉडल पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि परम्परागत से किसान को डिजीटल तकनीक में स्थानांतरित करने में सीएसी का महत्वपूर्ण योगदान है। कार्यक्रम में ऑनलाइन माध्यम से प्रदेश के करीब पांच हजार से अधिक किसानों ने हिस्सा लिया।