हिसार

कोरोना महामारी के खात्मे व विश्व कल्याण के लिए 21 धूणों के बीच तपस्या पर बैठे सुखदेवानंद महाराज

हिसार,
निकटवर्ती गांव हिंदवान में स्थित सेवार्थ गौशाला एवं गुरु गोरखनाथ अखाड़ा के संचालक श्रीश्री 108 श्री सुखदेवानंद महाराज पूरे विश्व में फैली कोरोना महामारी के संक्रमण व फंगस जैसी बीमारी के वायरसों के खात्मे व विश्व कल्याण के लिए भीषण गर्मी में 21 धूणों के बीच तपस्या के लिए समस्त गांववासियों व साधु संतों की उपस्थिति में तपस्या में बैठे।
इससे पूर्व स्वामी सुखदेवानंद ने कहा कि आज पूरा विश्व वैश्विक महामारी के संक्रमण से जूझ रहा है। दिनों-दिन कोरोना संक्रमण की चेन लंबी होती नजर आ रही है। इस चेन को तोडऩे के लिए सरकार ने सख्त हिदायतों के साथ लॉकडाउन भी किया हुआ है। वहीं जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग की टीमें इस महामारी को समाप्त करने में जुटी हुई हैं। सामाजिक व धार्मिक संस्थाएं भी इसमें अपना पूरा दायित्व निभा रही हैं। पर इतिहास साक्षी है कि जब-जब इस पावन धरा पर कोई महामारी या संकट आया है तब-तब स्वयं परमपिता परमात्मा की आराधना पूजा अर्चना से ही बीमारी व संकट का नाश हुआ है। हमारे धार्मिक साहित्य में भी इसके अनेक वर्णन मिलते हैं। इसलिए हमें अपनी दिनचर्या को प्रारंभ करने से पूर्व सृष्टि के रचयिता का स्मरण अवश्य करना चाहिए ताकि शीघ्र ही इस महामारी से निजात मिल सके। इसके अलावा जिला प्रशासन, प्रदेश सरकार द्वारा कोविड को लेकर जारी गाइडलाइन का पालन अवश्य करें। इन 21 दिनों में स्वामी सुखदेवानंद महाराज अन्न का सेवन नहीं करेंगे। केवल तीन घंटे जमीन पर विश्राम करेंगे। इस दौरान वे अपने गुरुदेव व इष्ट देवता की आराधना करेंगे और महामारी से निदान की प्रार्थना करेंगे।
स्वामी सुखदेवानंद महाराज ने बताया कि इस महामारी के खात्मे को लेकर 21 दिनों के लिए 21 धूणों के बीच प्रतिदिन 3 से 4 घंटे बैठकर तपस्या, आराधना की जाएगी। इससे पूर्व हवन यज्ञ किया गया और महाराज सुखदेवानंद को 21 मटकों के जल से स्नान करवया गया। इस मौके पर स्वामी कमलानंद महाराज के अलावा, साधुराम सरपंच, रामप्रसाद झाझडिय़ा प्रधान, पूर्व सरपंच पृथ्वी सिंह, जिले सिंह रेपसवाल, बलराज सिंह, भूप सिंह दादरवाल, महाबीर झाझडिय़ा, जयबीर सिंह, पृथ्वी सिंह खुंडिया, रामधारी, महाबीर खिचड़, कुलदीप सिंह रेपसवाल, मामनराम दादरवाल, रणधीर झाझडिय़ा, पाल नाथ, राजेन्द्र नाथ, संदीप नाथ, रमेश लाडवाल, रामदेव व सुधीर बिश्नोई के अलावा अनेक ग्रामीण मौजूद थे।

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