हिसार

उर्वरकों का अंधाधुंध प्रयोग पर्यावरण व जीवों के लिए घातक : कुलपति कम्बोज

अंतरराष्ट्रीय उर्वरक दिवस पर अंतराष्ट्रीय उर्वरक विकास केंद्र के अधिकारियों के साथ बैठक आयोजित

हिसार,
वर्तमान समय में उर्वरकों का अंधाधुध प्रयोग पर्यावरण व जीवों के लिए खतरा पैदा कर रहा है, जो घातक है। किसान फसलों के अधिक उत्पादन के लिए लगातार रासायनिक उर्वरकों का अंसतुलित मात्रा में अपने खेतों में प्रयोग कर रहे हैं जो संपूर्ण मानव जाति के अलावा पर्यावरण के लिए भी खतरनाक है।
यह बात हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के कुलपति प्रोफेसर बीआर कम्बोज ने कही। वे विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय उर्वरक दिवस पर आयोजित एक बैठक को संबोधित कर रहे थे। बैठक में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के मक्का उत्पादन केंद्र के पूर्व निदेशक डॉ. सांई दास व अंतराष्ट्रीय उर्वरक विकास केंद्र के निदेशक डॉ. यशपाल सहरावत विशेष रूप से मौजूद रहे। कुलपति ने कहा कि किसान बिना वैज्ञानिक परामर्श के उर्वरकों का असंतुलित मात्रा में अंधाधुंध प्रयोग कर रहे हैं, जो विश्वविद्यालय द्वारा सिफारिश की गई मात्रा से कई गुणा अधिक होता है। उर्वरकों की अधिक मात्रा में उपयोग से धान, गेहंू व कपास आदि फसलों के उत्पादन में बढ़ोतरी की बजाए स्थिर हो गई है। इनके अधिक उपयोग से भूमि के स्वास्थ्य व भूमिगत जल पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। इससे चर्मरोग, कैंसर, श्वास रोग जैसे अनेक रोग उत्पन्न हो रहे हैं जो घातक हैं। उन्होंने कहा कि उर्वरकों का अधिक प्रयोग धीरे-धीरे जमीन के अंदर समा जाते हैं और उनके दूरगामी दुष्प्रभाव सामने आते हैं। खाद्य श्रृंखला में भी रसायनिक तत्वों की मात्रा पाई गई है। उन्होंने किसानों से आह्वान किया कि वे वैज्ञानिकों की सलाह अनुसार नाइट्रोजन, फास्फोरस व पोटाश की सिफारिश की गई मात्रा का ही प्रयोग किया जाना चाहिए जबकि मौजूदा आंकड़ों के अनुसार इनका प्रयोग कई गुणा अधिक किया जा रहा है जो बहुत ही नुकसान दायक है।
अंतराष्ट्रीय उर्वरक विकास केंद्र के निदेशक डॉ. यशपाल सहरावत ने बताया कि विश्व स्तर पर कई ऐसी तकनीक है जो रसायनिक उर्वरकों के प्रयोग को कम करने में सहायक हैं। इन्हें जल्द ही विश्वविद्यालय के सहयोग से अपनाने का प्रयास किया जाएगा। भविष्य में एचएयू व अंतराष्ट्रीय उर्वरक विकास केंद्र संयुक्त रूप से मिलकर रसायनिक उर्वरकों के प्रयोग को कम करने के लिए काम करेंगे। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के मक्का उत्पादन केंद्र के पूर्व निदेशक डॉ. सांई दास ने विश्वविद्यालय की ओर से इस क्षेत्र में सहयोग करने के लिए प्रसन्नता जाहिर की। बैठक में कुलपति के ओएसडी डॉ. अतुल कुमार ढींगड़ा, अनुसंधान निदेशक डॉ. एसके सहरावत, विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. रामनिवास ढांडा, मानव संसाधन निदेशक डॉ. एमएस सिद्धपुरिया, मृदा विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ. मनोज कुमार शर्मा आदि मौजूद रहे।

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Jeewan Aadhar Editor Desk