नई दिल्ली।
रियल एस्टेट रेग्युलेशन एक्ट (रेरा) को लेकर अभी से प्रॉपर्टी डीलर्स की सांसे फूली नहई है। रेरा के लागू होने के बाद प्रॉपर्टी डीलर्स को बिजनेस करने के लिए कई कड़े नियमों से गुजरना होगा। अब तक जिन राज्यों ने रूल्स बना लिए हैं, उन्होंने प्रॉपर्टी डीलर्स के प्रति सख्ती बरती है। डीलर्स को पिछले तीन साल की इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) के साथ पिछले पांच साल के दौरान किए गए बिजनेस की डिटेल देनी होगी। साथ ही, उन्हें अपने ऊपर चल रहे सिविल व क्रिमिनल केस की डिटेल भी देनी होगी। रियल एस्टेट कंसलटेंसी फर्म नाइट फ्रेंक और लीगल कसलटेंसी फर्म खेतान एंड कंपनी द्वारा रेरा पर तैयार की गई रिपोर्ट में बताया गया है कि अब तक दिल्ली, कर्नाटक, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश द्वारा नोटिफाई किए गए रूल्स में रियल एस्टेट एजेंट (प्रॉपर्टी डीलर्स) के लिए लगभग समान प्रोविजन किए गए हैं। प्रॉपर्टी डीलर्स के प्रति राज्यों के नियम काफी सखत हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक रियल एस्टेट रेग्युलेटर के पास रजिस्ट्रेशन के वक्त प्रोजेक्ट डेवलपर या प्रमोटर को बताना होगा कि उसके प्रोजेक्ट को बेचने वाले रियल एस्टेट एजेंट कौन होंगे या कोई रियल एस्टेट प्रोजेक्ट या उसका पार्ट की सेल परचेज करता है तो उसे अथॉरिटी के पास अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा। उसके बाद हर डील पर एजेंट को अपना रजिस्ट्रेशन नंबर लिखना होगा। इसका आशय यह है कि 500 वर्ग मीटर से बड़े प्लॉट या 8 फ्लैट्स से बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए डील करने वाले डीलर को अपना रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होगा।रिपोर्ट के मुताबिक रूल्स में कहा गया है कि प्रॉपर्टी डीलर चाहे इन्डविजूवल हो, या कंपनी या पार्टनरशिप के तौर पर काम कर रहा हो को रजिस्ट्रेशन के वक्त पिछले पिछले 3 साल की इनकम टैक्स रिटर्न देनी होगा और अगर रिटर्न जमा नहीं की है तो एक डिक्लेरेशन देना होगा कि क्यों इनकम टैक्स रिटर्न फाइल नहीं की गई। इसके अलावा प्रॉपर्टी डीलर या सभी पार्टर्नर को अपनी फोटो के साथ पेन कार्ड, मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन, एड्रेस प्रूफ, ब्रांच फोन नंबर, फैक्स नंबर ईमेल, इस्तेमाल में लाए जाने लेटर की कॉपी, रबड़ स्टॉम्प और रसीद की कॉपी अथॉरिटी को देनी होगी।
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