आदमपुर,
व्यापारियों व किसानों के पैसे लेकर फरार हुए बनारसी दास वजीर चंद फर्म के मालिकों की अग्रिम जमानत याचिका हिसार अदालत ने खारिज कर दी है। व्यापार मंडल के उपप्रधान एडवोकेट सतपाल भांभू ने बताया कि अदालत में फर्म के मालिकों की तरफ से उनके वकील पेश हुए। उनके वकील की दलील थी मामला सिविल केस का है। ऐसे में इसे क्राइम में बदला जाना गलत है।
वहीं आदमपुर व्यापार मंडल की तरफ से पेश हुए वकील ने साफ किया कि फर्म के मालिकों पर अभी तक कहीं भी रिक्वरी का केस नहीं डाला गया है। ऐसे में यह मामला सिविल केस का नहीं है। आरोपियों के खिलाफ एसआईटी गठित है। यह सीधे तौर पर सोचा—समझा अपराध है। इसके बाद मालिकों के वकील ने साफ किया कि व्यापार मंडल के पदाधिकारी पैसे ऐंठने के लिए दवाब बना रहे है। फिलहाल उनके पास पैसे नहीं है, वे धीरे—धीरे पैसे चुका देंगे।
वहीं व्यापार मंडल के वकील ने अदालत ने बताया कि पैसा व्यापार मंडल का नहीं है। पैसे आदमपुर के व्यापारियों व किसानों के हैं। फर्म मालिकों ने 4 हजार रुपए प्रति क्विंटल के भाव से सरसों की खरीद आरंभ की थी और 7 हजार रुपए प्रति क्विंटल के भाव तक लगातार खरीद की। ऐसे में नुकसान होने का कहीं कोई चांस नहीं है। यह सीधे तौर पर सोच—समझकर व्यापारियों व किसानों के पैसे हजम करने की साजिश रच कर किया गया क्राइम है। अदालत ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद आदमपुर की फर्म मैं.बनारसी दास वजीर चंद के मालिकों की अग्रिम जमानत याचिका खरिज कर दी। पूरी सुनवाई के दौरान व्यापार मंडल के उपप्रधान सतपाल भाम्भू कोर्ट में उपस्थित रहे।