वादे की भावना में बहने की बजाय धैर्य से काम लें किसान संगठन
कर्मचारियों से किये वादे अब तक भी पूरे नहीं किये भाजपा सरकार ने
हिसार,
रोडवेज कर्मचारी यूनियन के प्रदेश प्रभारी राजपाल नैन ने तीन कृषि कानून वापिस लेने की प्रधानमंत्री की घोषणा को किसान संगठनों के आंदोलन व एकता की जीत बताया है। उन्होंने कहा कि घोषणा के बावजूद भी किसान संगठनों को संयम से व आपसी विचार-विमर्श करके आंदोलन वापसी पर धैर्य से काम लेने की जरूरत है ताकि देश का किसान वादाखिलाफी का शिकार न हो।
राजपाल नैन ने कहा कि किसान संगठनों की एकता, लंबे आंदोलन व सैंकड़ों किसानों की शहादत के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कृषि कानून वापिस लेने की बात कही है। इसे किसान आंदोलन की जीत ही कहा जाएगा क्योंकि सत्तापक्ष ने हमेशा इन कृषि कानूनों को किसान हित में बताया है लेकिन किसान संगठन इन कानूनों के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे थे, जिसमें उनकी जीत हुई है। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन जितना महत्वपूर्ण रहा, उतना ही महत्वपूर्ण अब किसान संगठनों को भावना में न बहकर धैर्य से काम लेने की है क्योंकि यदि अब किसान संगठनों ने जल्दबाजी दिखाकर आंदोलन एकदम वापिस ले लिया तो सरकार इसका फायदा भी उठा सकती है और किसान वादाखिलाफी का शिकार भी हो सकते हैं। देश व प्रदेश का कर्मचारी संगठन इस वादाखिलाफी को आज भी भुगत रहे हैं।
राजपाल नैन ने कहा कि कर्मचारी राजनीति में वे अपने अनुभव के आधार पर वादाखिलाफी की बात कह रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी ने वर्ष 2014 में सत्ता में आने से पहले कर्मचारी वर्ग से अनेक वादे किये थे जिनमें से एक भी वादा पूरा नहीं किया, उल्टा वादों के विपरीत जाकर कर्मचारियों के हितों पर कुठाराघात करना शुरू कर दिया। कर्मचारियों को पंजाब के समान वेतन देना, पुरानी एक्सग्रेसिया नीति बहाल करने, सार्वजनिक क्षेत्रों में खाली पड़े हजारों, लाखों पदों पर स्थाई भर्ती करना प्रमुख वादा था लेकिन इनमें से एक भी वादा पूरा करना तो दूर, निजीकरण की अघोषित नीति लागू करके पहले से लगे कर्मचारियों पर काम बोझ लाद दिया, विभाग सिकोड़ दिए और ठेका भर्ती से बेरोजगारों का शोषण शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि केवल वादे करना वाहवाही बटोरना अलग है और वादे पूरा करना अलग है, इसलिए किसान संगठनों को वादे की भावना में बहने की बजाय धैर्य से काम लेना उचित रहेगा। उन्होंने कहा कि भाजपा ने सत्ता में आने से पूर्व कर्मचारी वर्ग से जो वादे किये थे, वे आज भी लंबित है, इसलिए आगामी समय में इन वादों को पूरा करवाने की रणनीति पर विचार-विमर्श किया जाएगा।