हिसार

हिसार नगर निगम, जहां निगम आयुक्त के आदेशों को भी नहीं मिलती तवज्जो

आयुक्त ने 13 अक्टूबर को दिये थे अवैध बिल्डिंग तोडऩे के आदेश

हवा में उड़ गये आयुक्त के आदेश, बिल्डिंग ज्यों की त्यों, आखिर कौन बचा रहा अवैध कब्जाधारी को

हिसार,
आमतौर पर प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों द्वारा किसी अवैध काम की शिकायत तुरंत देने व शिकायत देने वाले का नाम गुप्त रखने का राग बहुत अलापा जाता है लेकिन धरातल पर इस राग का कोई महत्व नहीं है। और तो और नगर निगम कार्यालय ऐसा है, जहां पर निगम आयुक्त के आदेशों को भी ठेंगा दिखा दिया जाता है और कोई न कोई अदृश्य शक्ति है जो अवैध कब्जाधारी व अवैध बिल्डिंग को बचा रहा है।
अवैध बिल्डिंग की शिकायत करने वाले ऋषि नगर निवासी अनिल कुमार उर्फ कालू ठेकेदार का कहना है कि अवैध बिल्डिंग बचाने में निगम के ही कुछ अधिकारी व कर्मचारी है जो कार्यवाही नहीं कर रहे और आयुक्त के आदेशों को भी ठेंगा दिखा रहे हैं। कालू के अनुसार उसने गत चार जून को निगम अधिकारियों को शिकायत की थी कि सिविल अस्पताल के सामने हिसार एक्सरे व इशान ऑप्टीकल के बीच में एक बिल्डिंग बनी हुई है। उपरोक्त बिल्डिंग को नगर निगम ने कुछ महीनों पहले सील कर दिया था। इस बिल्डिंग के मालिक ने नगर निगम के अधिकारियों से मिलीभगत करके स्वयं ही दो बार सील को तोडक़र बिल्डिंग के अंदर निर्माण कार्य पूरा कर लिया और मुहुर्त भी कर लिया। मुहुर्त में आसपास के लोग देखकर हैरान रह गये कि इसमें निगम के ही कुछ कर्मचारी हिस्सा ले रहे हैं। यही वजह रही कि समय रहते सूचना के बावजूद भी नगर निगम अधिकारियों ने बिल्डिंग मालिक पर कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने कहा कि इस संबंध में उसने आरटीआई लगाई, निगम अधिकारियों से कई बार शिकायत भी की, लेकिन वे सब मौन बने रहे, जिससे अंदेशा है कि उनकी मिलीभगत से यह अवैध काम हुआ है।
ठेकेदार अनिल कुमार के अनुसार उन्होंने उक्त अवैध निर्माण की शिकायत सीएम विंडो के अलावा मुख्यमंत्री मनोहर लाल, शहरी निकाय मंत्री अनिल विज व निगम आयुक्त को समय रहते की। इसके बावजूद निगम अधिकारियों ने मौके पर जाकर उक्त व्यक्ति को रोकने की कोई कोशिश नहीं की, जिससे उनकी मिलीभगत साफ नजर आ रही है। उन्होंने कहा कि बिल्डिंग बनाने वाला व्यक्ति खुद कई लोगों के आगे कह चुका है कि उसने सबका हिसाब कर रखा है, इसलिए उसकी बिल्डिंग को रोकने वाला कोई नहीं है। कालू के अनुसार निगम आयुक्त ने बीते 13 अक्टूबर को यह अवैध बिल्डिंग तोडऩे के आदेश जारी किये लेकिन उनके आदेशों पर उनके अधीनस्थों ने अमल नहीं किया। जब निगम में निगम आयुक्त के आदेश भी नहीं माने जाते तो फिर आम जनता की सुनवाई कैसे होगी, यह विचारणीय प्रश्न है।
कालू के अनुसार आयुक्त के आदेशों को दरकिनार करके निगम अधिकारियों व कर्मचारियों ने कब्जाधारी को ऐसा रास्ता बताया कि उसने अदालत की शरण ले ली और अवैध कब्जाधारी को फायदा पहुंचाने के लिए निगम की ओर से कोई कोर्ट में पेश भी पिछली तारीख पर नहीं हुआ। शिकायतकर्ता अनिल कुमार ने मुख्यमंत्री से मांग की कि उपरोक्त बिल्डिंग की उचित जांच करवाकर इसमें शामिल अधिकारियों व बिल्डिंग मालिक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करने के साथ-साथ सवाल भी उठाया है कि आखिर किसी अवैध कार्य की समय रहते शिकायत देने का फायदा क्या है और उस पर कार्रवाई कौन करेगा।

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