सरकार के चहेते बड़े बड़े घराने अरबों रुपए बैंकों से लोन लेकर विदेशों में फरार हुए
हिसार,
अखिल भारतीय व्यापार मंडल के राष्ट्रीय मुख्य महासचिव व हरियाणा प्रदेश व्यापार मंडल के प्रांतीय अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा सरकारी बैंकों के निजीकरण करने का निर्णय उचित नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार अपने के चहेते बड़ी-बड़ी कंपनियों के मालिकों का बैंक लोन माफ करके बैंकों को दिवालिया करने में लगी हुई है।
बजरंग गर्ग ने कहा कि यूएफबीयू द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार 13 निजी कंपनियों का बकाया 4 लाख 86 हजार 800 करोड रुपए था जिनके खाते एनपीए करके उनको बाकी कर्ज माफ करके उनसे सिर्फ एक लाख 61 हजार 820 करोड रुपए में निपटा दिया गया। इसके कारण बैंकों को 3 लाख 24 हजार 980 करोड रुपए का नुकसान हुआ है जबकि अनेक बड़े घराने बैंकों से अरबों रुपए लोन लेकर विदेशों में भाग गए हैं। अगर छोटे से व्यापारी व आम नागरिक को बैंक से लोन लेना हो तो हजारों चक्कर लगाने के बाद भी जल्दी से लोन नहीं मिलता मगर बड़े-बड़े घरानों को सरकार की सिफारिश से करोड़ों अरबों रुपए का तुरंत लोन दे दिया जाता है जिसके कारण सरकारी बैंकों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
राष्ट्रीय मुख्य महासचिव बजरंग गर्ग ने कहा कि सरकारी बैंकों का निजीकरण करने के विरोध में बैंक कर्मचारियों ने दो दिन की हड़ताल रखी है जिसके कारण व्यापारी व उद्योगपतियों को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है। हड़ताल के दिनों के समय में व्यापारी व आम जनता के करंट अकाउंट में जो करोड़ों-अरबों रुपए पड़े हैं बैंकों को उस समय का व्यापारी व उद्योगपतियों को ब्याज देना चाहिए जबकि एआईबीईए के मुताबिक एक दिन में 18 हजार600 करोड रुपए का सरकारी बैंकों में लेन-देन प्रभावित हुआ है। उन्होंने कहा कि सरकार को सरकारी बैंक व सरकारी विभागों का निजीकरण नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही केंद्र सरकार को देश व प्रदेश के गांवों में लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए बिना ब्याज लोन देना चाहिए ताकि गांव स्तर पर छोटे-छोटे उद्योग स्थापित हो सके। गांव में छोटे-छोटे उद्योग लगने से लाखों युवा, महिलाएं व बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा।