हिसार

उच्च न्यायालय के निर्देशों की पालना सुनिश्चित करवाएं परिवहन विभाग के अधिकारी : राजपाल नैन

डिपो महाप्रबंधक से तालमेल कमेटी द्वारा मांग पत्र में उठाई गई मांगों को पूरा करने की अपील की

हिसार,
किसी भी देश, समाज व विभाग तभी विकास के पथ पर आगे बढ़ सकता है जब उसके सभी अंग अपनी जिम्मेवारी को समझते हुए अपने कर्तव्य का भली-भांति पालना करें। इसी के तहत विधायिका द्वारा कानून बनाए जाते हैं, कार्यपालिका द्वारा उनको लागू किया जाता है और यदि उनकी सही तरीके से पालना ना हो तो न्चायपालिका उन कानूनों की सही व्याख्या करते हुए उनकी पालना करवाती है लेकिन हमारे देश में पूरी व्यवस्था ही इस समय चरमरा गई है। विधायिका द्वारा जो कानून बनाए जाते हैं उनकी कार्यपालिका द्वारा सही तरीके से पालना नहीं की जा रही है। इसको लेकर जब न्यायपालिका का दरवाजा खटखटाया जाता है तो वहां भी समय पर न्याय नहीं मिल पाता है।
यह बात रोडवेज कर्मचारी यूनियन के राज्य प्रभारी राजपाल नैन ने एक बयान में कही। उन्होंने कहा कि न्यायालय पर बिना वजह के केसों का बोझ है। कार्यपालिका की निष्क्रियता के कारण के लाखों-करोड़ों केस निचली व ऊपरी अदालतों में पैंडिंग पड़े हैं। इसी का एक उदाहरण यह है कि मोटर व्हीकल एक्ट में प्रावधान है कि चालक व परिचालकों से एक सप्ताह में 48 घंटे ही ड्यूटी ली जा सकती है और उनसे 1200 किलोमीटर तय करवाए जाएंगे। पांच घंटे लगातार ड्यूटी के बाद आधा घंटा रेस्ट दिया जाएगा लेकिन परिवहन विभाग में इस ओर किसी भी अधिकारी का कोई ध्यान नहीं है। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने इस संबंध में दायर याचिका का निपटारा करते हुए रोडवेज विभाग को काम को लेकर बने एक्ट की पालना करने के निर्देश दिए हैं। इसके तहत चालक को हर पांच घंटे बाद आधा घंटा का ब्रेक व सप्ताह में 48 घंटे ही काम लिया जाए। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाए कि वाहन चालकों की थकान के कारण दुर्घटनाएं ना हों।
राजपाल नैन ने कहा कि वास्तविकता यह है कि अधिकारियों को पता ही नहीं होता कि ड्यूटियां कैसे ली जाती हैं। अब उच्च न्यायालय ने इसको लेकर निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने कहा कि रोडवेज विभाग में चालक-परिचालकों का उत्पीडऩ जारी है। एक ओर तो उनका ओवरटाइम बंद कर दिया गया है और दूसरी तरफ उनसे निर्धारित समय से ज्यादा ड्यूटी लेकर उनका उत्पीडऩ किया जाता है। इस उत्पीडऩ से निजात दिलाने के लिए हजारों कर्मचारी माननीय उच्च न्यायालय के आभारी हैं। उन्होंने कहा कि परिवहन विभाग के उच्चाधिकारियों को रोडवेज कर्मचारियों का उत्पीडऩ करने की बजाय उच्च न्यायालय के निर्देशों की पालना सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिएं। उन्होंने कहा कि विभाग के महानिदेशक या अन्य उच्चाधिकारियों द्वारा जो आदेश जारी किए जाते हैं उनकी निचले स्तर पर अधिकारियों द्वारा पालना नहीं की जाती, जिसके चलते कर्मचारियों को न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ता है। इसलिए उच्चाधिकारियों को आदेशों की पालना नहीं करने वाले अधिकारियों के खिलाफ भी कार्यवाही करनी चाहिए।
राज्य प्रभारी राजपाल नैन ने कहा कि तालमेल कमेटी द्वारा डिपो महाप्रबंधक को जो मांग पत्र दिया गया है उन पर माननीय उच्च न्यायालय द्वारा जारी निर्देशों ने भी मुहर लगा दी है कि कर्मचारियों से निर्धारित समय सीमा में ही ड्यूटी ली जा सकती है और उनकी मांग जायज है। इसलिए यहां पर ध्यान देने की विशेष जरूरत है कि बेहतर योजना के साथ रोडवेज बसें चलाई जाएं ना कि धक्काशाही के साथ। अक्षम कर्मचारियों को प्रभावशाली ड्यूटी पर लगाकर जनता की सुविधाओं के साथ खिलवाड़ ना किया जाए और कर्मचारी हितों पर कुठाराघात ना हो।
राज्य प्रभारी राजपाल नैन ने बताया कि तालमेल कमेटी द्वारा डिपो महाप्रबंधक को सौंपे गए मांग पत्र में भी मांग उठाई गई है कि जिस कर्मचारी की जो ड्यूटी बनती है नियमानुसार उससे वही ड्यूटी ली जाए तथा जनता की सुविधा व कर्मचारी के पद की गरिमा को ध्यान में रखकर ही उससे ड्यूटी ली जाए। इसलिए तालमेल कमेटी की डिपो महाप्रबंधक से मांग है कि तालमेल कमेटी के साथ बातचीत में तय की गई समय सीमा 31 दिसंबर तक मांगों को लागू करें ताकि किसी प्रकार कोई अन्य विवाद पैदा ना हो। उन्होंने कहा कि डिपो महाप्रबंधक मुख्यालय से जारी निर्देशों के अनुसार ही सीनियर व जूनियर कर्मचारियों से काम लें। उन्होंने कहा कि यदि महाप्रबंधक अपनी मनमानी चलाते हुए मुख्यालय आदेशों के विपरित जाकर सीनियर कर्मचारियों से काम लिया गया और जूनियर कर्मचारियों को उनकी सुपरविजन में लगाया गया है तो तालमेल कमेटी महाप्रबंधक के खिलाफ कड़ा कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगी, जिसकी पूरी जिम्मेवारी महाप्रबंधक की होगी।

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