विद्यार्थियों को संविधान की जानकारी जरुरी : साहिल दहिया
सच बोलें और झूठ को बेनकाब करें : एडवोकेट दहिया
हिसार,
दयानंद महाविद्यालय, हिसार के जनसंचार विभाग द्वारा ‘फ्रीडम ऑफ स्पीच वर्सेस डिफेमेशन : नेविगेटिंग द कन्सिट्युशन एज ए जर्नलिस्ट इन इंडिया’ विषय पर सारगर्भित व्याख्यान आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट, चंडीगढ़ से अधिवक्ता साहिल दहिया रहे।
दयानंद महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. विक्रमजीत सिंह ने जनसंचार विभाग को ऐसे कार्यक्रम के आयोजन के लिए सराहना करते हुए कहा कि मीडिया के विद्यार्थियों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मानहानि के बारे में विस्तार से जानने की आवश्यकता है। विद्यार्थियों के मीडिया इंडस्ट्री में जाने से पहले उन्हें संविधान का अध्ययन अवश्य करना चाहिए। वर्तमान समय में यह जानना जरुरी है कि संविधान हमें स्वच्छंदता नहीं स्वतंत्रता की अनुमति देता है। सोशल मीडिया के युग में सभी को अपनी बात कहने की सीमा भी पता होनी चाहिए। यह सेमिनार मीडिया के विद्यार्थियों के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगा। जनसंचार विभाग को ऐसे बहुमूल्य कार्यक्रमों का आयोजन करते रहना चाहिए।
मुख्य वक्ता साहिल दहिया ने अपने व्याख्यान में विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए अमेरिकी बुद्धिजीवी नोम चॉम्स्की के हवाले से कहा, ‘बुद्धिजीवियों की जिम्मेदारी है कि वे सच बोलें और झूठ को बेनकाब करें’। उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रयोग करते समय मर्यादा और निजता के अधिकार को बनाए रखना आवश्यक है। उन्होंने आगे मानहानि और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बीच अंतर की धुंधली रेखा को इंगित करने के लिए संवैधानिक प्रावधानों के बारे में बात की। उन्होंने विद्यार्थियों को आलोचनात्मक वैज्ञानिक चिंतन के लिए प्रेरित किया। उन्होंने भारत में पत्रकारों के अधिकारों से संबंधित सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों पर प्रकाश डाला। अंत में प्रश्न-उत्तर सत्र चला।
जनसंचार विभाग के इंचार्ज सुरेश कुमार ने विभाग की ओर से मुख्य वक्ता का धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने बताया कि जनसंचार विभाग के विद्यार्थी हमेशा रचनात्मक गतिविधि में आगे रहते हैं। सेमिनार का विषय वर्तमान समय में प्रासंगिक हैं। जनसंचार विभाग के सहायक प्रोफेसर नरेन्द्र सोनी ने बताया कि साहिल दहिया ने भारत के प्रतिष्ठित लॉ स्कूल नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी पटियाला से पढ़ाई पूरी की है। साहिल की संवैधानिक व प्रशासनिक मुद्दों पर गहरी पकड़ है। साहिल दहिया मानव अधिकार, साहित्य, सांस्कृतिक विषयों पर निरंतर लिखते रहते हैं। मुख्य वक्ता के अनुभव का लाभ नि:संदेह जनसंचार विभाग के विद्यार्थियों को मिला है।
अंत में प्रो. अमनदीप ने कहा कि विद्यार्थियों को विश्वसनीय सूचना व स्रोत वाली पुस्तक पढऩे की आदत डालनी चाहिए। आज देश में संवैधानिक तरीके से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के उपयोग के साथ अधिकारों व कर्तव्यों को भी जानने की आवश्यकता है। इस अवसर पर प्राध्यापक प्रो. नरेन्द्र सोनी, प्रो. अमनदीप, डॉ. रेखा, डॉ. माया सहित बीएएमसी के विद्यार्थी उपस्थित रहे।