हिसार,
केंद्र व हरियाणा की डबल इंजन सरकारों की मिलीभगत द्वारा भाखड़ा-ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड(बीबीएमबी) संशोधन नियम 2022 लागू करके बीबीएमबी में हरियाणा प्रदेश के सिंचाई विभाग के इंजीनियर व कर्मचारियों की हिस्सेदारी खत्म करके प्रदेश के साथ अन्याय किया जा रहा है। इस पर प्रदेश के मुख्यमंत्री का मौन और भी चिंता में डालने वाला है।
यह बात अखिल भारतीय राज्य कर्मचारी परिसंघ के राष्ट्रीय चेयरमैन एमएल सहगल ने एक बयान में कही। उन्होंने कहा कि पंजाब संशोधन अधिनियम 1966 आधीन भाखड़ा डैम, पौंग डैम, ब्यास-सतलुज लिंक परियोजना का भाखड़ा-ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड गठित किया गया। पंजाब विभाजन उपरांत पहली नवंबर 1966 से हरियाणा प्रदेश का गठन हुआ था। उस समय बीबीएमबी मैनेजमेंट बोर्ड के सिंचाई व बिजली संबंधित दो विभागों का गठन किया गया। उस समय कार्यरत कर्मचारियों-इंजीनियरों के पदों (सिंचाई विभाग) में पंजाब हरियाणा का 60: 40 अनुपात में बंटवारा किया गया। बिजली विभाग में हिमाचल व राजस्थान को भी पंजाब व हरियाणा के अतिरिक्त हिस्सेदारी दी गई थी। इसी तरह से इन डैमों के निर्माण उपरांत ब्यास-सतलुज नदियों का पानी संग्रहित करके पंजाब, हरियाणा व राजस्थान को आवंटित करने का प्रावधान किया गया था। इसी आधार पर इन प्रोजेक्टों से प्राप्त होने वाली बिजली में हिस्सेदारी दर्ज की गई। उन्होंंने बताया कि बीबीएमबी आधीन ही भाखड़ा मेन लाइन नजर परियोजना आधीन हरियाणा को सिंचाई व पेयजल उपलब्ध हो रहा है, जिस कारण हिसार, जींद, फतेहाबाद सिरसा तथा अंतिम छोर पर राजस्थान के कुछ खेतों की सिंचाई हो पा रही है।
एमएल सहगल ने इस बात पर खेद जताया हरियाणा सरकार की घोर अनदेखी तथा केंद्र की भाजपा सरकार की केंद्रीयकरण की नीतियों के कारण बीबीएमबी बोर्ड में सिंचाई विभाग के कर्मचारियों विशेषकर मुख्य अभियंता पद की कटौती का प्रहार किया गया है। इसलिए हरियाणा कर्मचारी महासंघ इस मामले को प्रदेश सरकार के समक्ष गंभीरता से कर्मचारियों की हिस्सेदारी सुनिश्चित करने की मांग उठा रहा है।