हिसार

वर्तमान संदर्भ में श्रीमद्भागवत गीता में धर्म का महत्व : प्रो दीनबंधु पांडेय

‘गीता का प्रथम शब्द धर्म विमर्श और विवेचना’ विषय पर पंचनद शोध संस्थान द्वारा ई-गोष्ठी का आयोजन

हिसार,
हिसार पंचनद शोध संस्थान, अध्ययन केंद्र हिसार द्वारा एक ई-गोष्ठी शीर्षक ‘गीता का प्रथम शब्द धर्म विमर्श और विवेचना’ का आयोजन किया गया। जिसमें प्रस्तोता रूप में प्रो दीनबन्धु पांडेय, (ज्ञान-सिंघु सम्मान से अलंकृत) रहे तथा अध्यक्षता कुलपति प्रो डॉ. राजेन्द्र कुमार अनायत दीनबन्धु छोटूराम विश्वविद्यालय मुरथल की रही। प्रस्तोता ने श्रीमद्भागवत गीता में प्रथम शब्द धर्म पर विमर्श और विवेचन रूप धर्म का शाब्दिक अर्थ, उत्पत्ति, प्रामाणिकता, प्रथम रचनाकार, प्रथम संवाददाता से लेकर अनेकों गीता के विभिन्न रूपों ऋचाओं, टीकाओं, संवादों, कथाओं आदि आदि का विवेचनात्मक वर्णन किया। उन्होंने धर्मक्षेत्र और कुरुक्षेत्र दोनों शब्दों में से क्षेत्र शब्द हटाकर कुरुधर्म जोडक़र उसे धर्म का आधार बताया। कुरुधर्म को बौद्ध धर्म के ‘कुरु धम्म’ जातक सफेद हाथी और वर्षा कथा के स्त्रोत से माना एवं इसके अंतर्गत जीवन मूल्यों को जोडक़र हिंसा न करना, व्यभिचारी न होना, मिथ्या भाषा से दूरी, मद्यपान आदि आदि नियमों सहित व्याख्या एवं विवेचना की। उन्होंने धर्म के लक्षणों में सनातन धर्म को मूल बताया और धर्म के 41 शाब्दिक अर्थ बताते हुए धर्म के लक्षणों पर प्रकाश डाला। कुरुभूमि में ज्ञान, तप और कर्म का समन्वय रूप अपने विचारों के रूप में प्रकट किया। कुरुक्षेत्र में धर्म की सार्वभौमिक प्रासंगिकता पर भी प्रश्न रखा। संक्षेप में उन्होंने श्रीमद्भागवत गीता में किसी भी कर्मकांड की पालना को अनिवार्य नहीं माना।
धर्म शब्द को जीवन में उन्होंने शास्त्रानुसार कुल धर्म, वेद धर्म, पर-स्व-सर्व धर्म, आदि आदि रूप में व्याख्या करते हुए मनुस्मृति में धर्म के दस लक्षणों की तुलनात्मक विवेचना की। कुलपति अनायत जी ने श्रीमद्भागवत गीता के कईं श्लोकों को प्रस्तुत किया। अध्यक्ष डॉ. जगबीर सिंह द्वारा गोष्ठी की सफलता पर प्रस्तोता, गोष्ठी अध्यक्ष और सभी गणमान्य लोगों का धन्यवाद किया। सलाहकार ज्ञानचंद बंसल के मार्गदर्शन से सचिव मोहित कुमार ने गोष्ठी का संचालन किया तथा मीडिया सह-समन्वयक डॉ जसबीर सिंह भारत संग रहे। संगोष्ठी में प्रो. बृजकिशोर कुठियाला, प्रो के.सी. अरोड़ा, प्रो. अवनीश वर्मा, प्रो. विनोद वर्मा, प्रो. सुरेन्द्र मिश्रा, उदयभान, आनंद स्वरुप, प्रो डी पी वार्ने, प्रो सुषमा यादव, डॉ मनोज बूरा, डॉ किरण आदि सहित अनेकों प्रबुद्ध वर्ग, शोधार्थी, विद्यार्थी एवं अन्य मौजूद रहे।
पंचनद शोध संस्थान, अध्ययन केंद्र हिसार (संबद्ध पंचनद शोध संस्थान) इससे पूर्व अनेकों वैयक्तिक उपस्थिति तथा ई-गोष्ठी आयोजित करवाते रहा है। आजादी के अमृत महोत्सव में कई ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, सामाजिक आदि आदि विभिन्न पहलुओं पर अनेकों गोष्ठियों का आयोजन करके बौद्धिक चर्चा भी करते हैं ताकि समाज सही दिशा रूप में राष्ट्र उत्थान ओर अग्रसर हो सके।

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