हर रोज हो रहे जनता के लाखों रुपये बर्बाद, मामूली मुद्दों को दिया जा रहा तूल
हिसार,
हरियाणा रोडवेज संयुक्त कर्मचारी संघ के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व राज्य प्रधान दलबीर किरमारा ने लोकसभा में बने गतिरोध पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि पक्ष व विपक्ष जनहित को नजरअंदाज कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पक्ष—विपक्ष की इस आपसी खींचतान पर हर रोज जनता के लाखों रुपये खर्च हो रहे हैं लेकिन दोनों पक्षों को इसकी चिंता नहीं है।
दलबीर किरमारा ने कहा कि लोकसभा, राज्यसभा व राज्यों की विधानसभाएं वो पटल है, जिन पर जनता की समस्याओं पर चर्चा करते हुए उनके समाधान की रणनीति बनाई जाए और जनकल्याण की आगामी योजनाएं रखी जाए लेकिन राजनीतिक दलों ने तो लोकसभा, राज्यसभा व विधानसभाओं को अपने शक्ति प्रदर्शन का साधन बनाकर छोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि चाहे कोई दल सत्ता में हो या कोई विपक्ष में हो, हर दल विपक्ष की आवाज दबाने का प्रयास करता है। राजनीतिक दलों को इस बात से कोई सरोकार नहीं होता कि उनकी इस हरकत से जनता के कितने पैसे बर्बाद हो रहे हैं। ताजा मामले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने देश की राष्ट्रपति पर गलत टिप्पणी की, जिस पर शोर शराबा हुआ। किसी महिला और वो भी देश की प्रथम नागरिक के प्रति इस तरह की टिप्पणी नहीं होनी चाहिए लेकिन अब जब अधीर रंजन चौधरी राष्ट्रपति से मिलकर माफी मांग चुके हैं तो भी सत्तापक्ष इस मसले को भुनाए रखने के प्रयास में हैं और यही चल रहा है। इसके बाद कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी व केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के मसले को आधार बना दिया गया।
दलबीर किरमारा ने कहा कि दोनों दलों ने दो छोटे—छोटे मुद्दों की आड़ लेकर लोकसभा व राज्यसभा को शक्ति प्रदर्शन का अखाड़ा बनाकर छोड़ दिया। इस दौरान जनता से जुड़े वे मुद्दे गौेण हो गए जिन पर चर्चा की जानी चाहिए थी। विपक्षी दल कांग्रेस का भी यह कहना है कि सरकार बेरोजगारी, महंगाई व अन्य आवश्यक मुद्दों पर चर्चा करने भाग रही है, तभी इन छोटे मुद्दों को तूल दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिन मुद्दों को लेकर लोकसभा व राज्यसभा को बाधित किया जा रहा है, वे मुद्दे जनता से बड़े नहीं है। बड़ी जनता है, जिसने इन नेताओं को चुनकर वहां तक पहुंचाया है। ऐसे में नेताओं को चाहिए कि वे बेमतलब की बातों से लोकसभा व राज्यसभा का वक्त खराब करके जनता के लाखों रुपयों को हर रोज बर्बाद न करें बल्कि इन दोनों सदनों की मर्यादा व बनाने के उद्देश्य को कायम रहने दें। उन्होंने कहा कि जनता भी ऐसे प्रतिनिधियों की पहचान करें और जब वे जनता में आएं तो उनसे सवाल अवश्य करें कि आखिर उन्होंने जनता की कितनी आवाज उठाई।