धर्म

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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—152

अश्वघोष को वैराग्य हो गया। भोग-विलास से अरुचि और संसार से विरक्ति हो जाने के कारण उसने गृह-परित्याग कर दिया। ईश्वर-दर्शन की अभिलाषा से वह...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—151

Jeewan Aadhar Editor Desk
ब्रह्माजी की इच्छा हुई “सृष्टि रचें।” उसे क्रियान्वित किया। पहले एक कुत्ता बनाया और उससे उसकी जीवनचर्या की उपलब्धि जानने के लिए पूछा -“संसार में...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—150

शबरी यद्यपि जाति की भीलनी थी, किंतु उसके हृदय में भगवान की सच्ची भक्ति भरी हुई थी। बाहर से वह जितनी गंदी दिखती थी, अंदर...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रचवनों से—149

Jeewan Aadhar Editor Desk
पांडव वन में थे। एक दिन उन्हें बहुत जोरों की प्यास लगी। सहदेव पानी की तलाश में भेजे गए। शीघ्र ही उन्होंने एक सरोवर खोज...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—147

एक मंदिर था। उसमें सब लोग पगार पर काम करते थे। आरती वाला, पूजा कराने वाला आदमी,घंटा बजाने वाला भी पगार पर था… घंटा बजाने...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—146

एक व्यक्ति किसी संत के पास गया और बोला गुरुदेव, मुझे जीवन के सत्य का पूर्ण ज्ञान है। मैंने शास्त्रों का काफी अध्ययन किया है।...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—145

महाराष्ट्र में संतोबा नाम के एक प्रसिद्ध संत हुए। एक बार वह भ्रमण करते हुए राजणागांव पधारे। जब वह एक घर में भिक्षा मांगने पहुंचे...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—144

महाप्रलय की रात्रि का चौथा चरण, प्रजापति ब्रह्मा की निद्रा टूटी। परमेश्वर का स्मरण कर पुन: सृष्टि रचना की इच्छा से उन्होंने शैया-त्याग की और...