धर्म

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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से-438

स्वामी दयानन्द सरस्वती के प्रवचनों में अमीरचंद नामक व्यक्ति भजन गता था। उसका गला अत्यंत सुरीला था। वह जब भी गाता, बड़ी तन्मयता के साथ...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—437

एक राजा को सुयोग्य व ईमानदार मंत्री की आवश्यकता थी। उसके दरबार में चाटुकारों की भरमार थी, जिनसे राजा बहुत परेशान था। एक दिन उसने...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—436

सेठ धनीराम हमेशा पैसे कमाने में लगे रहते और परिवार पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे पाते। उनकी पत्नी अपनी हवेली के सामने रहने वाले मजदूर...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—435

एक आदमी को काम के सिलसिले में अपने गाँव से शहर जाना था। चूँकि वह बेरोजगार था और गाँव में उसे कोई काम उपलब्ध नहीं...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—434

एक फकीर जो एक वृक्ष के नीचे ध्यान कर रहा था, रोज एक लकड़हारे को लकड़ी काटते ले जाते देखता था। एक दिन उससे कहा...
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परमहंस स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—433

एक राजा कुशल प्रशासक था। प्रजा के सुख-दुःख के लिए वह प्रायः साधारण वेशभूषा में उनके बीच घूमा करता था। एक दिन जब राजा जंगल...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—432

गौतम बुद्ध से राजकुमार श्रोण ने दीक्षा ली थी। एक दिन बुद्ध अन्य शिष्यों ने बुद्ध को बताया कि श्रोण तप की उच्चतम सीमा तक...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—431

एक गांव में धनसिंह नाम का एक धनी और लोभी व्यक्ति रहता था। अपनी दुकान पर आने वाले प्रत्येक मनुष्य को ठगना उसका नित्य का...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—430

एक बार दो पड़ोसी राज्यों में युद्ध छिड़ गया। बहुत भयानक युद्ध चल रहा था। युद्ध में बहुत सारे सैनिक घायल हो जाते थे। दोनों...