हिसार

एसवाईएल निर्माण के लिए इनेलो ने दिया धरना, सौंपा ज्ञापन

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इंडियन नेशनल लोकदल की ओर से एसवाईएल नहर का निर्माण करवाने की मांग पर उपमंडल स्तर पर दिए जा रहे धरने की कड़ी में मंगलवार को आदमपुर हलके की ओर से उपायुक्त कार्यालय पर धरना देते हुए विरोध जताया गया। धरने की अध्यक्षता इनेलो जिलाध्यक्ष राजेंद्र लितानी ने की। धरने के उपरांत उपायुक्त के माध्यम से प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा गया। इसके साथ ही बिजली-पानी संकट के समाधान और आगजनी से फसलों को हुए नुकसान की अदायगी की मांग को भी प्रमुखता के साथ उठाया गया।
प्रधानमंत्री के नाम सौंपे ज्ञापन में इनेलो नेताओं ने कहा कि जननायक चौधरी देवीलाल के मुख्यमंत्रीत्व काल में 1987 से 1990 तक नहर का 60 प्रतिशत निर्माण कार्य पूरा हुआ। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 15 जनवरी 2002 को दिए गए निर्देश के अनुसार पंजाब सरकार द्वारा एक वर्ष में एसवाईएल नहर का निर्माण कार्य पूरा करने का समय दिया गया था। सर्वोच्च न्यायालय ने भारत सरकार को यह भी निर्देश दिया था कि वह अपने संवैधानिक दायित्व को निभाने के लिए यह सुनिश्चित करे कि यदि पंजाब सरकार उक्त नहर को एक वर्ष के भीतर पूरा नहीं करती तो केन्द्र सरकार अपने स्तर पर अपनी एजेंसियों द्वारा उस कार्य को पूरा करवाए और हरियाणा को उसके हिस्से का पूरा पानी दिलवाये। इसके उपरांत पंजाब सरकार ने एक के बाद एक अनेक तकनीकी आपत्तियां उठाई परंतु उन सभी को खारिज करते हुए 4 जून 2004 को सर्वोच्च न्यायालय ने केन्द्र सरकार को हिदायतें दी जिसके अनुसार केंद्र सरकार किसी भी एजेंसी को एक महीने के भीतर नहर निर्माण का कार्य सौंपेगी। किन्तु सर्वोच्च न्यायालय के फैसले की अवहेलना करते हुए पंजाब विधानसभा ने अतीत के सभी अन्तर्राज्यीय जल समझौतों को रद्द करने का एक विधेयक वर्ष 2004 में पारित करके देश के संघीय ढांचे, न्याय और आपसी भाईचारे पर प्रहार किया। जब यह विधेयक राष्ट्रपति के पास गया तो उन्होंने इसे सर्वोच्च न्यायालय के पास उसकी वैधानिकता की जांच करने के लिए भेजा। सर्वोच्च न्यायालय ने अपनी राय 10 नवम्बर 2016 को देते हुए पंजाब विधानसभा के उक्त विधेयक को असंवैधानिक घोषित करते हुए रद्द कर दिया।
हरियाणा में बिजली-पानी संकट के समाधान करने की मांग
इसके साथ ही उपायुक्त को हरियाणा में बिजली-पानी संकट के समाधान और आगजनी से फसलों को हुए नुकसान की अदायगी को लेकर भी ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन में कहा गया कि भाजपा सरकार की किसानों के प्रति बेरूखी व उदासीनता के कारण गेंहू की फसल के जलने से हुई हानि की भरपाई अभी तक नहीं की गई है। उन्होंने मांग की कि ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों में 24 घंटे बिजली सप्लाई सुनिश्चित की जाए, पीने के पानी के संकट से जूझ रहे लोगों व पशुधन के लिए पानी की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए और आगजनी से हुए फसलों के नुक्सान की भरपाई के लिए कम से कम 25 हजार रुपए प्रति एकड़ मुआवजा दिया जाए और फायर ब्रिगेड की गाडियों के बिलों की अदायगी भी सरकार द्वारा स्वंय की जाए। इस मौके पर विधायक रणबीर सिंह गंगवा, वेद नारंग, अनूप धानक, पूर्व विधायक पूर्णसिंह डाबड़ा, शीला भ्याण, सतबीर वर्मा, राजेश गोदारा, रमेश गोदारा, भागीरथ नंबरदार, राजकुमार जांगड़ा, कृष्णा भाटी, कृष्णा खर्ब, एडवोकेट मनदीप बिश्नोई, रमेश चुघ, रमेश बेरवाल, डॉ. राजकुमार दिनौदिया, गुलाब सिंह, राजकुमार सलेमगढ़ व सतपाल पालू सहित बहुत से कार्यकर्ता व पदाधिकारी मौजूद थे।

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