हिसार,
जिला प्रशासनिक भवन के सभागार में आपदा प्रबंधन एवं जिला प्रशासन द्वारा संयुक्त रूप से फायर सेफ्टी एवं स्मॉग प्रबंधन बारे जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में विभिन्न प्रकार की आग व स्मॉग से निपटने के तौर-तरीकों बारे जानकारी दी गई।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए अतिरिक्त उपायुक्त एएस मान ने कहा कि प्राकृतिक एवं मानव निर्मित आपदाएं किसी भी रूप में कभी भी घट सकती हैं, परंतु जागरूकता और जानकारी से इन अपदाओं से होने वाले नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इसलिए हरेक नागरिक को प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के तौर-तरीकों से पूरी तरह से जागरूक होना चाहिए और जरूरत पडऩे पर इन्हीं जानकारियों के आधार पर दूसरों की मदद भी करनी चाहिए। उन्होंने कार्यशाला में उपस्थित अधिकारियों व कर्मचारियों से कहा कि वे इस कार्यशाला में सीखे गए आपदा प्रबंधन के तौर-तरीकों को अपने संपर्क में आने वाले लोगों के साथ सांझा करें, ताकि हर नागरिक जरूरत पडऩे पर स्वयं के साथ-साथ दूसरों की भी इन अपदाओं से बचाव के लिए मदद कर सके। उन्होंने बताया कि किसी भी प्राकृतिक व मानवीय आपदा में हर किसी विभाग की कोई न कोई जिम्मेवारी निर्धारित होती है, इसलिए संबंधित विभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों का आपदा प्रबंधन के तौर-तरीकों से वाकिफ होना बहुत जरूरी है।
समारोह का संबोधित करते हुए राष्ट्रीय आपदाएं प्रबंधन प्राधिकरण की जिला इकाई की सीनियर रिसर्च ऑफिसर पूनम ने कार्यशाला में जानकारी देते हुए बताया कि देश के विभिन्न हिस्सों में घटने वाली प्राकृतिक व मानवीय आपदाओं को ध्यान में रखकर राष्ट्रीय आपदाएं प्रबंधन प्राधिकरण योजनाएं बनाती है। कौन से क्षेत्र में बाढ़, भूकंप, आगजनी की आशंकाएं अधिक हैं, सीजन के हिसाब से पूरे साल की आपदा प्रबंधन योजनाएं बनाई जाती हैं। इस प्रकार की योजनाओं से संबंधित क्षेत्र में घटने वाली आपदा पर तुरंत प्रभाव से काबू पाया जा सकता है या उस हानि को कम किया जा सकता है। इसके साथ-साथ आपदा प्रबंधन विभाग विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से लोगों को आपदा प्रबंधन बारे जागरूक करने के उद्ेश्य से सेमिनार, कार्यशाला, विचार गोष्ठियों, नुक्कड़ नाटक आदि कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है। इसके अलावा गृह रक्षी, अग्निश्मन विभाग भी इन कार्यक्रमों में भाग लेकर इन विभागों द्वारा किए जाने वाले क्रियाकलापों पर मॉकड्रिल कर लोगों को जागरूक कर रही है।
समारोह को संबोधित करते हुए अग्निश्मन विभाग के अधिकारी महाबीर प्रसाद ने बताया कि आपदा किसी भी प्रकार की हो सकती है। आपदा प्राकृतिक या मानव निर्मित हो सकती है, लेकिन सभी प्रकार की आपदाओं पर पूरी तरह के काबू पाना मुमकिन नहीं है, परंतु आपदा प्रबंधन के उचित तौर-तरीकों के प्रशिक्षण से इनसे होने वाले नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि साधारणतय पांच प्रकार से आग की घटनाएं होती है। पहली साधारण आग जो घास-फूस आदि में लगती, दूसरी तरल पदार्थ व तेल आदि, तीसरी गैस जिसमें रसोई व अन्य गैस शामिल है, चौथी धातु व पांचवी इलैक्ट्रीक आग है। इन सभी प्रकार से लगने वाली आग की घटनाओं पर काबू पाने के लिए अलग-अलग तरह के तौर-तरीके अपनाए जाते हैं। उन्होंने सभी प्रकार से लगने वाली आग पर काबू पाने के तौर-तरीकों के विस्तार से जानकारी दी। प्राकृतिक आपदाओं पर काबू पाने का सबसे महत्वपूर्ण उपाय मनुष्य का मनोबल और साहस है, जिसमें वह बिना घबनाए उस प्राकृतिक आपदाओं पर काबू पाने के लिए प्रयास करता है।
कार्यशाला में डा. अजीत लाठर ने स्मॉग से बचाव बारे जानकारी दी। उन्होंने बतााया कि स्मॉग से बचने के लिए 90 व 95 मॉडल के मॉस्क लगाने चाहिए। ये मॉस्क स्मॉग से होने वाले प्रदूषण से बचाव करते हैं। उन्होंने आगजनी के दौरान पीडि़त को अस्पताल ले जाने से पूर्व उसे दी जाने वाली प्राथमिक चिकित्सा के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी।
कार्यशाला में गृह रक्षी विभाग के अधिकारी देवी दयाल व एसएस पानू ने अपनी टीम के साथ मॉक ड्रिल के माध्यम से यह बताया कि सड़क दुर्घटनाओं, बहु मंजली इमारतों में आगजनी की घटनाओं के दौरान मानव जीवन को किस प्रकार से बचाया जा सकता है। इस अवसर पर नगराधीश श्रीमती शालिनी चेतल, डीआरओ राजेंद्र कुमार, डीडीपीओ अश्विन मलिक सहित अन्य विभागों के अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित थे।
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