फतेहाबाद (साहिल रुखाया)
स्वास्थ्य विभाग के फूड सेफ्टी आफिसर कार्यालय से संदिग्ध हालात में मिले 2 लाख 8 हजार 850 रुपये के मामले में प्रदेश के स्वास्थ मंत्री अनिल विज ने संज्ञान लिया है। अनिल विज ने कहा कि इस प्रकार सरकारी कार्यालय में लवारिश अवस्था में पैसे मिलना सीधे—सीधे भ्रष्टाचार की तरफ की इशारा करता है। उन्होंने कहा कि मामले की जांच अभी पुलिस के पास है, लेकिन जांच की गति क्या है, वे इस बारे में अधिकारियों से पूछेंगे। स्वास्थ मंत्री ने साफ किया कि भ्रष्टाचार को किसी भी कीमत पर बर्दास्त नहीं किया जा सकता। मामले की जांच में तेजी लाई जायेगी—वे स्वयं मामले की जांच के बारे में संज्ञान लेंगे। स्कूली प्रतियोगिता.. प्ले ग्रुप से दसवीं तक विद्यार्थी और स्कूल दोनों जीतेंगे सैंकड़ों उपहार.. अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे
ये था मामला
सिविल सर्जन कार्यालय के फूड सेफ्टी कार्यालय में 13 अक्टूबर को फोटोस्टेट मशीन के पीछे संदिग्ध हालात में 2 लाख 8 हजार 850 रुपये मिले थे। उप सिविल सर्जन डॉ.गिरीश ने उसी दिन पुलिस को शिकायत दी थी कि कम्प्यूटर आप्रेटर जो पहले कार्यालय में तैनात थी वह 12 अक्टूबर को आई और उसने कहा कि उसके 2 लाख 8 हजार 850 रुपये रखे हैं। अगले दिन जब कर्मचारी ने जांच की तो उसे लिफाफा मिला, जिसमें 2 लाख 8 हजार 850 रुपये मिले। इसमें एक अन्य लिफाफा में सॉस के पाऊच भी थे। नौकरी करना चाहते है, तो यहां क्लिक करे।
उपायुक्त के आदेश के बाद सिविल सर्जन डॉ.मनीष बंसल ने कमेटी भी बनाई लेकिन कोई भी राशि का मालिक नहीं बना और हटाई गई महिला कर्मचारी ने भी इंकार कर दिया। मामला हाईप्रोफाइल होने के बाद पंचकूला से कमीशनर ने स्टेट ड्रग कंट्रोलर मनमोहन तनेजा को जांच के लिए भेजा था। तनेजा ने डॉ.गिरीश को मामले में पुलिस शिकायत देने के आदेश दिए थे। जिसके बाद विभाग ने लिखित शिकायत पुलिस को दी थी। लेकिन पुलिस अब तक मामले में सभी संदिग्धों के बयान तक नहीं ले पाई है। ऐसे में पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठने लगे है।
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