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4 युवाओं ने सपने देखे..और सपनों को किया साकार, प्रदेश को चारों पर है गर्व

हिसार
हर माता-पिता का एक सपना होता है कि उनकी संतान के नाम से उनकी पहचान हो। जिले के चार युवक, जिनका यूपीएससी में चयन हुआ है, सभी के माता-पिता की भी समाज में पहचान है, मगर इनके माता-पिता आज इस बात से खुद को अधिक गौरवांवित महसूस कर रहे हैं कि अब उनकी संतान के नाम से उनकी पहचान होगी।
राहुल सिंधू – 60 वां रैंक

प्रशासकीय सेवाओं में युवाओं का प्रवेश भ्रष्टाचार के खत्म होने का संकेत
सेक्टर-13 निवासी राहुल सिंधू के पिता रामफल सिंधू वर्ष 2016 में एजी कार्यालय से बतौर अकाउंट ऑफिसर रिटायर हुए हैं। माता ईश्वर देवी शिक्षित मगर गृहणी हैं। राहुल सिंधू ने बताया कि आज देश के युवाओं का माइंड सेट आज लगातार बदलता जा रहा है और देश के सरकारी कार्यालयों में युवाओं के प्रवेश से वर्क कल्चर भी बदल रहा है। आज युवा काम करना चाहता है और देश से भ्रष्टाचार को खत्म करना चाहता है। यूपीएससी के माध्यम से युवाओं का प्रशासकीय सेवाओं में प्रवेश देश में भ्रष्टाचार को खत्म करने का संकेत है। उन्होंने कहा कि भले ही उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा को उत्तीर्ण किया है, मगर यह चयन केवल और केवल उनके माता-पिता के कारण ही है। उनके माता-पिता ने उनका लक्ष्य साधा और उस लक्ष्य पर चलने के लिए हर संसाधन उपलब्ध करवाए। उन्हें इस बात का गर्व है कि वे अपने माता-पिता की पहचान को और अधिक बढ़ाएंगे। उन्होंने युवाओं के लिए कहा कि हर हार के पीछे जीत छिपी होती है। कोई उस जीत को अंधेरेे में ही देख लेता है और कोई उस अंधेरे से बाहर निकल कर अपना और कोई व्यक्ति दूसरे रास्ते की रोशनी के साथ चल लेता है।
जीवन में एक लक्ष्य बनाओ और उसी लक्ष्य को हासिल करके ही दम लो
गौरव सैनी – 89 वां रैंक
लघु सचिवालय कॉलोनी में रहने वाले जिला समाज कल्याण अधिकारी डॉ. डीएस सैनी एवं राष्ट्रपति से सम्मानित मिसेज संगीता सैनी के ज्येष्ठ पुत्र गौरव सैनी ने बताया कि जब वे छोटे होते हुए कॉलोनी से निकलते थे तो सामने आयुक्त का आवास दिखता था। माता-पिता उन्हें हमेशा यही कहते थे कि बेटा, हमें 250 गज के सरकारी क्वार्टर से इस 1000 गज से भी अधिक इस आईएएस के लिए बने क्वार्टर में शिफ्ट होना है और आखिर गौरव सैनी ने करके ही दिखा दिया। हिसार पहुंचने पर गौरव सैनी का भव्य स्वागत किया गया। गौरव सैनी ने कहा कि देश से भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए एक पीढ़ी की जरूरत है। जब यह पीढ़ी पूरे देश के विभिन्न पदों पर बैठ जाएगी तो धीरे-धीरे यह भ्रष्टाचार अपने आप ही समाप्त हो जाएगा। उन्होंने कहा कि आज का युवा करप्शन फ्री वर्क कल्चर को पसंद करता है। उन्होंने बेहतर करियर की तलाश में मेहनतकश युवाओं के लिए कहा कि जो भी व्यक्ति आज कामयाब हुआ है, पहले वह नाकाम अवश्य हुआ है, मगर उसकी अटूट हिम्मत और दृढ़ निश्चय ने उसे हमेशा कामयाब इंसान बनाया है। युवा अपनी पहली, दूसरी या तीसरी हार को हार न माने, बल्कि वह खुद को हीरा माने, जिसकी चमक हर बार बढ़ती जा रही है। गौरव सैनी के पिता डॉ. डीएस सैनी और मिसेज संगीता सैनी ने कहा कि हमारे बेटे ने हम दोनोंं के सपने पूरे किए हैं और अपना नाम यथार्थ किया है। मिसेज सैनी गौरव को चिकित्सक बनाना चाहती थी तो गौरव ने एमबीबीएस की और पिता डॉ. डीएस सैनी उन्हें आईएएस बनाना चाहते थे तो गौरव ने दूसरी बार में यूपीएससी में 89 वां रैंक हासिल करते हुए आईएएस में खुद को चयनित करवा लिया।
सपने देखो और पूरे करने के लिए जी—जान लगा दो
हर्षित भादू – 496वां रैंक

आदमपुर के बोगा मंडी के मूलनिवासी दयाराम भादू के बेटे हर्षित भादू ने इस बार के यूपीएससी परिणाम में 496वां रैंक हासिल किया है। उन्हें उम्मीद है कि रैंक के मुताबिक उनका चयन आईआरएस के लिए हो जाएगा, मगर हर्षित भादू बताते हैं कि वे आईएएस की तैयारी के लिए दोबारा संघर्ष करेंगे। उन्होंने कहा कि वे अपने पिता दयाराम भादू और मां दीपा भादू को एक आईएएस की कोठी में निवास अवश्य करवाएंगे। उन्होंने कहा कि देश अभी युवा है और इस युवा देश में प्रशासकीय सेवाओं पर युवाओं की कमान होनी शुरु हो गई है। ऐसे में देश में भ्रष्टाचार का खत्म होना संभव है। हर्षित भादू के पिता और माता ने कहा कि उन्हें इस बात से खुशी होगी जब उन्हें कोई आईएएस हर्षित भादू के पिता और माता के नाम से पुकारेंगे। उन्होंने कहा कि उनका बेटा इसी ओर मेहनत भी कर रहा है। उन्हें अपनी संतान पर गर्व है।
भ्रष्टाचार को समाप्त करना है लक्ष्य
अमन लोहान – 568 वां रैंक
मूलरूप से डाबड़ा गांव निवासी एवं प्रदेश में चेतना मंच के प्रमुख उमेद लोहान के बेटे अमन लोहान ने यूपीएससी में 568वां रैंक हासिल किया है। अमन ने कहा कि भ्रष्टाचार के जनक आमजन होते हैं और यदि आमजन खुद ही भ्रष्टाचार को खत्म करने का संकल्प ले लेगा तो देश में कोई भी अधिकारी भ्रष्टाचार केा बढ़ावा नहीं दे सकता। उन्होंने कहा कि युवा निश्चित रूप से इस ओर अग्रसर है और आज का युवा नैतिक मूल्यों को भी पूरा महत्व देता है। अमन के पिता पिता उमेद लोहान ने कहा कि बेटे की मेहनत पर उनको गर्व है। अभी तक उनकी पहचान एक समाजसेवी और राजनीतिक क्षेत्र से जुड़ी हुई थी, मगर गर्व है कि अब उनकी पहचान एक प्रशासकीय अधिकारी के पिता के नाम से होगी।

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