धर्म

परमहंस स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—55

पानी-पानी की तरह हमेशा स्वस्छ, निर्मिल और गतिशील बने रहो। पानी हर जीव का प्राण है, पानी जीवन है, खाने के बिना आदमी जीवित रह सकता है, परन्तु पानी के बिना जीवन असम्भव है। गंगा के किनारे दो मिनिट खड़े होकर देखो। गंगा में पानी हमेशा ऊपर से नया आता रहता है। गंगा के किनारे दो मिनिट खड़े होकर देखो। गंगा में पानी हमेशा ऊपर से नया आता रहता है और लहरें आगे आगे बहती रहती हैं।

एक क्षण के लिए भी बहाव रूकता नहीं है। शीतलता प्रदान करती हुई लहरें मीठे स्वर में गाती भी रहती हैं। एक बहुत ही मधुर ध्वनि कानों में गूंजती है। लहरों का बहाव इतना मोहक लगता है, मन करता है उनको देखते ही रहें। पानी का सर्वश्रेष्ठ विशेषता है मैल का धोना। कोई भी वस्तु जड़-चेतन सभी को धोकर साफ करना पानी का विशेष गुण है। पानी की तरह बहते रहो, नहीं तो गन्दे की तरह दुर्गन्ध आने लगेगी।

यदि पानी एक जगह रूक जाता है तो गन्दा हो जाता है।,क्योंकि उसमें नया पानी आना बन्द हो जाता है और लोगों का मैल धोते-धोते उसमें दुर्गन्ध आने लगती है। इसी प्रकार सन्त महात्मा यदि एक स्थान पर आश्रम बनाकर रहने लग जायें तो वहाँ भी अनेक तरह की बुराईयाँ पनपने की संभावना रहती है, अत: उनको तो एक स्थान से दूसरे स्थान , एक शहर से दूसरे शहर में जाकर धर्म प्रचार व प्रसार हेतु विचरण ही शोभायमान है।

घर-घर जाकर नाम संकीर्तन भक्ति, सेवा पूजा आदि से मानवमन के मैल को धोना है। अशान्तमानव को अमन-शान्ति का जीवन देना है। जीवन जीने की कला सिखाना है, अत: जैसे श्वास के बाद श्वास आता रहता है उसी प्रकार पाँव रूके नहीं। आगे से आगे कदम बढ़ते रहे और सन्त रूपीगंगा में प्राणी अपने हृदय के मैल को साफ करके धन्य बनते रहें।

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