धर्म

परमहंस स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—58

अग्रि- आग में विषेश गुण है जला कर शुद्ध बना देना। अग्रि में जलकर ही सोना कुन्दन बन पाता है। अग्रि में चाहे आप घी डालो या लकड़ह, दोनों को जलाकर राख बना देगी। इसी प्रकार मानव में अनेक प्रकार के अवगुण क्रोध, मान, माया, लोभ, वासंनाएँ आदि विद्यमान हैं, उनकों ज्ञानरूपी अग्रि से जलाकर हृदय को शुद्ध बनाओ। यह ज्ञान रूपी अग्रि केवल शास्त्र पढ़ लेने मात्र से प्रज्वलित नहीं होती अपितु इस अग्रि को जलाने वाले होते हैं सदगुरू। गुरू और सद्गुुरू में बहुत बड़ा अन्तर होता है।

यदि मैं कहूं कि आकाश और पाताल का अन्तर है, तो अतिश्योक्ति नहीं। गुरू तो केवल शिक्षक होता है परन्तु सद्गुरू शिक्षक तो होता ही है, इसके अतिरिक्त जीवनरूपी नैया को संसाररूपी सागर से पार करनेवाला नाविक भी होता है, परमात्मा से मिलनेवाला द्वारपाल भी होता है। जैसे हमने किसी राजा से मिलना है तो उस तक पहुँचने के लिए द्वार पर बैठे कर्मचारी की सहायता आवश्यक होती है। वही राजमहल में रास्ता बताकर राजा के कक्ष तक पहुँचाता है।

उसी प्रकार परमात्मा से मिलन करवाने वाले सद्गुरू ही होते हैं, बिना उनकी कृपा के मुक्ति द्वार खुल नहीं सकता। इसीलिए मुमुक्षु को चाहिए कि वह सद्गुरू के चरणों में जीवन समर्पित करके स्वयं-निश्चिंत रहे, उनके द्वार बता हुए मार्ग पर चलकर जीवन सफल और सार्थक बनाए।
यदि गुरू न होते तो शायद परमात्मा मिलन नहीं हो पाता। अत: गोविन्द का ज्ञान कराने वाले गुरू ही है। ज्ञान का दीपक जलाने वाले गुरू ही हैं। जैसे सूर्य निकलते ही अन्धकार अपने आप भाग जाता है। उसी प्रकार अज्ञान को भगाना नहीं पड़ता, वह तो ज्ञान आते ही आपे आप छुई-मुई हो जाता है। ज्ञान हो जाने पर वैराग्य की दिल में उत्पत्ति होती है।

ज्ञान औश्र वैराग्य उसके पुत्र है। जैसे माँ को पुत्रों के पास जाने के लिए बुलाने की आवश्यकता नहीं होती। ममता वश वह स्वयं उसके पास आ जाती है इसी प्रकार जब मानव को संसार की असारता का ज्ञान हो जाता है, तो क्षणिक और नाशवान् वस्तुओं से वैराग्य हो जाता है और इस प्रकार शाश्वत अमर -अजर अविनाशी परमात्मा के प्रति प्रेम उमड़ पड़ता है। और परमात्मा भी उससे उतना ही नहीं, अपितु उससे दश गुण प्रेम करने लगते है और अन्त मेें अपना ही स्वरूप प्रदान कर देते हैं।

Related posts

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—125

स्वामी राजदास:अद्भुत गुरुभक्ति

Jeewan Aadhar Editor Desk

सत्यार्थप्रकाश के अंश—02

Jeewan Aadhar Editor Desk