धर्म

स्वामी राजदास : सत्य की यात्रा में

मैंने सुना है कि एक पंडित एक तोता खरीदने गया। उसने तोते की दूकान पर कई तोते देखे। एक तोता उसे पंसद आया। बड़ा शानदार तोता था। पर दूकानदार ने कहा: सह जरा मैं बेचना नहीं चाहता। यह मुझे भी बहूत प्यारा है। यह मेरी दूकान की रौनक और मेरी शान है।
पर पंडित ने कहा: जो भी दाम होंगे, दूंगा। मेरा भी मन भर गया है इस तोते पर। इसकी खूबी क्या है ?
उसने कहा कि इसकी खूबी यह है कि अगर… इसके बाएं पैर में देखते हो, एक रस्सी बंधी है, धागा पतला- सा , इसको जरा खींच दो तो यह तत्क्षण गायत्री मंत्र बोलता है। जीवन आधार नवंबर माह प्रतियोगिता.. प्ले ग्रुप से दसवीं तक विद्यार्थी और स्कूल दोनों जीतेंगे सैंकड़ों उपहार.. अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे
पंडित तो बहुत खुश हुआ कि यह तो बड़ी खुशी की बात है।
और इसके दांए पैर में जो बंधा है? उसने कहा कि अगर दांए पैर खीच दो तो तत्क्षण नमोकार मंत्र बोलता है। यह तो तोता जैनियों और हिन्दूओं दोनों को प्यारा है। 3 महिने नौकरी करो और सालभर वेतन लो, अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।
पंडित ने पूछा: और अगर दोनों धागे एक साथ खींच दो?
तोता बोला:अरे बुद्ध चारों खाने चित्त नीचे गिर पडूगा।
कभी-कभी तोते तुम्हारे पंडितों से ज्यादा समझदार होते हैं। दोनो पैर अगर खींचेगे तो गिर ही पड़ेगा चारों खाने चित्त । पंडित सोचता था कि शायद दोनों पैर एक साथ खींचने से कुछ समन्वय का सूत्र बोलेगा: अल्ला ईश्वर तेरे नाम, सबको सन्मति दे भगवान्…. कि नमोकार मंत्र और गायत्री मंत्र का मिक्श्चर करके बोलेगा या कुछ होगा।
पांडित्य तोता-रंटत है। शास्त्र से मुक्त होना पड़ता है सत्य की यात्रा में। शब्द से जागना पडऩा है सत्य की यात्रा में।
अपना मरम जाने नहीं औरन समुझावे।
देखे को बक ऊजला, मन मैला भाई।

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