धर्म

परमहंस स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—61

परीक्षित ने शुकदेव मुनि से सविनय करबद्ध होकर पूछा हे गुरूदेव ये चौदह लोक और यह संसार की रचना कैसे हुई? शुकदेव जी ने समझाया हे राजन् सर्वप्रथम परब्रहा परमात्मा है, उनके सिवाय और कोई नहीं है अत: इसीलिए उनको अद्वितीय भी कहा जाता है। इन्हीं परब्रहा्र परमात्मा , पुर्ण परमात्मा सच्चिदानन्द का अंश अक्षर ब्रहा्र है। अक्षर भगवान् के मन अव्याकृत का प्रतिबिम्ब इस संसार पर पड़ा। मन का कार्य है -बनाना। संकल्प, विकल्प और कल्पना करना। हजारों प्रकार की वासनाएँ मन में उठी।

कल्पना मोह रूपी समुद्र में पड़ी रही। हजारों वर्षो तक अण्डा रूप में समुद्र के पानी में पड़ी रही। फिर उसमें जीव -प्रविष्ट हुआ। उसने अपने आप को जानना चाहा और अपना नाम रखा- नारायण नर अयन मोह रूपी जल में जिसने अपना घर बनाया है, वह है नारायण नार कहते है जल और अयन कहते है घर को। नारायण नार कहते है जल को और अयन कहते हैं घर को।

अर्थात् मैं एक हूँ , एक सेे बहुत हो जाऊँ, ऐसी इच्छा की । पंच तन्मात्रा हैं- शब्द, स्पर्श, रूप गन्ध पाँच तत्व है- अवकाश, वायु, पृथ्वी, जल और अग्रि पाँच कर्म इन्द्रियाँ हैं- श्रोत्रेन्द्रिय, घ्राण इन्द्रिया, रस इन्द्रिय और स्पर्श इन्द्रिया। तीन गुण है- सतोगुण, रजोगुण और तोमगुण। तीन देवता प्रमुख है-ब्रहा्रा विष्णु और महेश। इस प्रकार सृष्टि की रचना का क्रम प्रारम्भ हुआ।

ब्रहा्रा का कार्य हुआ रचना करना।
विष्णु का कार्य है रक्षा करना, सँवराना, पालन पोषण करना।
शिव का कार्य हैं-संहार करना।
सत्यम् शिवम् सुन्दरम् के अनुसार इस सृष्टि की रचना इस प्रकार से हुई। हिन्दु धर्म दर्शन में इन्हें- ब्रहा्रा, विष्णु और महेश कहते हैं। अरब देश में इन्हें मैकाइल, जबराईल और आजालील कहते हैं तथा अंग्रेजी भाषा में इन्हें गॉड के नाम से पुकारा जाता है। गॉड शब्द को हम इस प्रकार समझ सकते है।

इनकी मदद करनेवाले अन्य देवता भी हंै। जैसे सरकार मन्त्रि -मंडल के सहयोग से चलती है, इसी प्रकार सृष्टि का संरक्षण भी अनेक देवताओं द्वारा होता है। परब्रहा्रा परमात्मा तो हैं राजा। ब्रहा्रा, विष्णु और महादेव, ये तीन राजा मन्त्री हैं। इनकी मदद के लिए अन्य मन्त्री कार्यकर्ता हैं।
इन्द्र भगवान- सिंचाई देवता हैं अर्थात् जल देवता है।
नारदजी हैं- सूचना-मन्त्री।
लक्ष्मीजी हैं- धन विभाग मन्त्री।
सरस्वती जी हैं- बुद्धिदायिनि-शिक्षाविभाग मन्त्री।

इस प्रकार यह देवताओं का मन्त्री मण्डल है जो परब्रहा्र परमात्मा के आदेशानुसार कार्य करता हैं। परब्रहा्रा पराश्क्ति है। मन्त्री मण्डल तो बदलता है। हर राज्य में मन्त्री अलग-अलग हैं, बदलते हैं रहते हैं, परन्तु राष्ट्रपति सबका एक है। भूटान, नेपाल आदि देशों में राजा राज्य है। वहाँ संवैधानिक राजतंत्र व प्रजातंत्र है। वहाँ राजा नहीं बदलता, परन्तु मन्त्री मण्डल बदलता रहता है। सच्चिदानन्द हैं- राजा, जो कभी नहीं बदलता।

Related posts

परमहंस स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—102

Jeewan Aadhar Editor Desk

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से— 372

Jeewan Aadhar Editor Desk

सत्यार्थप्रकाश के अंश—55