हिसार (राजेश्वर बैनीवाल)
जन परिवाद एवं कष्ट निवारण समिति की बैठक भारी हंगामें के साथ-साथ विभिन्न विभागों व अधिकारियों पर आरोपों के साथ निपटी। पिछले लगभग एक साल से लंबित चली आ रही शिकायतों से शिकायतकर्ताओं के साथ-साथ जन परिवाद समिति के गैर सरकारी सदस्य भी उकता गये और उपायुक्त पर मामलों को गंभीरता से न लेने का आरोप जड़ डाला। उपायुक्त पर आरोप लगाने शुरू हुए तो एक के बाद एक समिति सदस्य खड़े होने लगे, जिस पर मामला गंभीर हो गया।
जनस्वास्थ्य मंत्री डा. बनवारी लाल की अध्यक्षता में जनपरिवाद समिति की बैठक शुरू होते ही भाजपा किसान प्रकोष्ठ के नेता एवं समिति के गैर सरकारी सदस्य रामफल बूरा ने मंत्री व उपायुक्त से मुखाबित होते हुए अनुरोध किया कि पिछले लगभग एक साल से लंबित पड़ी शिकायतों का निपटारा किया जाए। उन्होंने कहा कि हर बार मीटिंग होती है और शिकायतों को अगली बैठक के लिए लंबित रख दिया जाता है। ऐसा कहते हुए उन्होंने उपायुक्त से कहा कि आप मामलों को गंभीरता से नहीं ले रहे, यदि आप अधिकारियों की खिंचाई करें तो क्या हर बार वही शिकायत रहेगी। उनके इतना कहते ही मामला तनावपूर्ण हो गया और आगे की तरफ बैठे कुछ अधिकारियों ने उपायुक्त पर आरोप लगाने पर आपत्ति जताई, लेकिन समिति के अन्य सदस्यों के कड़े तेवरों के बाद बाकी अधिकारी ढीले पड़ गये। समिति सदस्यों व अन्य लोगों ने अधिकारियों को यहां तक कह डाला कि इतनी गर्मी काम करने में दिखाई जाए तो ठीक रहती है। रामफल बूरा का इतना कहना था कि उपायुक्त भन्नाकर चुप हो गये।
इसी दौरान बैठक में आई एक शिकायत पर जब भाजपा नेता प्रो. कृष्णलाल रिणवा ने कुछ कहना चाहा तो उपायुक्त ने उन्हें टोक दिया और कहा कि आपको बात समझ आ रही है या नहीं, इस पर प्रो. रिणवा उखड़ गये और कहा कि डीसी साहब, अपनी भाषा पर कंट्रोल करो, मैं वर्षों तक प्रोफेसर के रूप में बच्चों को पढ़ा चुका हूं और आप मुझे बात समझा रहे हैं। शुरूआती दौर में दो सदस्यों द्वारा उपायुक्त को निशाना बनाये जाने के बाद उपायुक्त चुप होकर बैठ गये तो तीन-चार शिकायतें चलने तक कुछ नहीं बोले। वास्तव में शिकायतकर्ताओं व समिति सदस्यों का गुस्सा हर बार अधिकारियों द्वारा लीपापोती करके मामले को अगली बैठक तक टाल देने की वजह से था।
बैठक के दौरान हिसार की स्कॉलर सहकारी गृह निर्माण सोसायटी गंगवा की प्रधान द्वारा किये गये फर्जीवाड़े पर रजिस्ट्रार कार्यालय व पुलिस की खासी फजीहत हुई। बाद में अध्यक्ष ने धोखाधड़ी के मामले में अध्यक्षा को गिरफ्तार करने के आदेश दिये जबकि अब से पहले पुलिस व रजिस्ट्रार कार्यालय की तरफ से केवल लीपापोती होती थी। कुलाना गांव के सरपंच व अन्य की शिकायत को अगली बैठक तक दुरूस्त करने के निर्देश दिये गये वहीं राजपुरा गांव के सरूप सिंह व अन्य की शिकायत को फिर से जांचने व कार्रवाई के निर्देश दिये गए। किरतान गांव के सरपंच व अन्य द्वारा गांव में पेयजल की कमी बारे जनस्वास्थ्य विभाग को अन्य विभागों से तालमेल करके पेयजल उपलब्ध करवाने के निर्देश दिये गये। आदमपुर तहसील के गांव ढ़ाणी मोहब्बतपुर निवासी खुशी मोहम्मद की जिला राजस्व अधिकारी से संबंधित शिकायत दुरूस्त किये जाने पर निपटा दी गई।
हांसी पुलिस जिला के गांव सुलतानपुर में अवैध खुर्दों की शिकायत पर हांसी के डीएसपी ने कुछ लोगों को पकडऩे का दावा करते हुए अवैध खुर्दे होने से मना कर दिया, जिस पर उन्हें बैठक के दौरान ही शिकायतकर्ताओं व समिति सदस्यों की खरी-खोटी सुननी पड़ी। कोई रास्ता नजर न आता देखकर डीएसपी ने यह कहकर पल्ला झाडऩे का प्रयास किया कि एक शिकायतकर्ता पर खुद पर केस दर्ज है, इस पर समिति सदस्यों ने कहा कि यदि उस पर केस दर्ज है तो पुलिस कार्रवाई कर सकती थी लेकिन आज उस मामले से क्या लेना-देना है। इस पर डीएसपी कोई जवाब नहीं दे पाये। मामले में ग्रामीणों के सहयोग से डीएसपी व आबकारी विभाग को मिलकर अवैध शराब की बिक्री बंद करने के निर्देश दिये और अगली बैठक में रिपोर्ट देने को कहा गया। इसके अलावा मिर्जापुर गांव के सत्यवान व अन्य की शिकायत पर डीएसपी सिद्धार्थ ढांडा को मामले की जांच के निर्देश दिये गये।
इस माह रखी गई खेदड़ गांव के राजबीर पुत्र श्रीशंक व हांसी के प्रेम नगर स्थित मंदिर के पुजारी प्रताप सिंह व हसनगढ़ निवासी रमेश कुमार की शिकयतों की जांच के भी आदेश दिये गये। इसी तरह नियाणा गांव के बलबीर सिंह, साधुराम, चन्द्रभान, सुभाष व अन्य की शिकायत पर जनस्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने 15 दिन का समय मांगा, जिस पर यह मामला अगली बैठक के लिए रख दिया गया। इसी तरह पटेल नगर निवासी ललिप पुत्र रामबख्श की शिकायत को भी अधिकारियों ने समझौता दिखा दिया, जिस पर दोनों पक्षों में काफी तकरार हुई। सरसाना गांव के सरपंच व अन्य की शिकायत पर मंत्री व उपायुक्त ने सिंचाई विभाग के अधिकारियों को पर्याप्त पानी उपलब्ध करवाने व पानी चोरी रोकने के आदेश दिये। ऋषि नगर निवासी रविन्द्र कुमार की नगर निगम से संबंधित शिकायत को अगली बैठक के लिए लंबित रख दिया गया। उसने अवैध कब्जे हटवाने की मांग की थी।
डीईओ पकड़ गये अलग ट्रैक
भाजपा के आजाद नगर मंडल के अध्यक्ष अनिल गोदारा की स्कूल बसों व स्टाफ से संबंधित शिकायत पर आरटीए ने अपना पक्ष रखा और आगामी जांच की बात कही लेकिन विभाग का पक्ष रखने आये जिला शिक्षा अधिकारी बलजीत सहरावत ने उन स्कूलों की सूची पढऩी आरंभ कर दी, जिनके स्टाफ की जांच की गई थी। खास बात यह रही कि वे जो सूची पढ़ रहे थे, वह सूची बरवाला, उकलाना व दूसरे क्षेत्रों से संबंधित थी, जिससे वे हंसी का पात्र बनकर रह गये। बाद में मामले की फिर से जांच करने के निर्देश दिये गये।
गोदारा ने कृषि विभाग को भी घेरा
भाजपा नेता अनिल गोदारा ने कृषि विभाग पर किसानों को अनुदानस्वरूप दिये जा रहे बरसीम के बीज पर सवाल उठाया तो संबंधित अधिकारी बगलें झांकने लगे। गोदारा ने कहा कि किसानों को अनुदानस्वरूप दी जा रही बरसीम के बीज की पैकिंग अक्तूबर 2015 की है और क्वालिटी निम्न स्तर की है। इस पर कृषि उप निदेशक ने कहा कि हमने सैंपल ले लिये हैं और जांच की जाएगी, साथ ही उन्होंने सवाल दाग दिया कि जब आपने थैली खोली ही नहीं तो आपको क्या पता कि क्वालिटी घटिया स्तर की है। गोदारा ने कहा कि वे 8 थैली लाए थे, उनके पास दो बची है और बिजाई के बाद बीज उगा ही नहीं। इस पर डीडीए चुप हो गये।
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