आदमपुर
कौन कहता है कि आसमां में छेद नहीं हो सकता..एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो…इसे सार्थक कर रही है आजकल के बेटियां..।
पुरुषों का कार्यक्षेत्र माने जाने वाले बस चालक की सीट पर अब महिलाएं भी दिखाई देने लगी है। आदमुपर के शिव कालोनी निवासी सीमा रानी क्षेत्र की पहली बस चालक बनी है। 2 बेटों हिमांशु व नितिन की मां सीमा 12वीं कक्षा पास है। इंटर पास करते ही सीमा ने पारिवारिक जिम्मेदारियों में पिता का हाथ बंटाना शुरू कर दिया था। मार्च 2009 में शादी के बाद ससुराल में गृहकार्य के अलावा सीमा कार चलाना सीख रही थी।
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कुछ माह पहले सीमा के पति आनंद कुमार हिसार रोडवेज विभाग में ट्रैनिंग लेने के लिए गए। पति की ट्रैनिंग पूरी होने के बाद सीमा ने समाचार पत्र में लडक़ी द्वारा रोडवेज बस दौड़ाने की खबर पढ़ी तो उसके मन में भी ये ट्रैनिंग करने का ख्याल आया ताकि रोडवेज या पुलिस विभाग में उसे आसानी से नौकरी मिल सके और वह अपने पैरों पर खड़ी होकर घरेलू खर्च में पति का हाथ बंटा सके। इस सपने पर बढ़ते हुए सीमा ने हैवी लाइसैंस के लिए हिसार रोडवेज ट्रैनिंग सैंटर में 27 अप्रैल से 31 मई तक 35 दिन की ट्रैनिंग भी पूरी कर ली है और 1 महीने बाद सीमा को हैवी गाड़ी का लाइसैंस मिल जाएगा।
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प्रशिक्षक जयबीर सिंह ने बताया कि सीमा पहले से ही कार आदि वाहन चलाने में माहिर है इसलिए बेटी को थोड़ा बहुत बताने पर ही वह बड़ी आसानी से रोडवेज बस चलाने लगी। वहीं सीमा का कहना है बस चलाने में ज्यादी परेशानी नहीं आई। प्रदेश सरकार जैसे ही रोडवेज में बस चालकों की वेकैंसी निकालती है—वह इस जॉब को करना चाहेगी। आदमपुर खंड विकास एवं पंचायत कार्यालय में नियुक्त सीमा के ससुर समाज शिक्षा एवं पंचायत अधिकारी सीताराम सोनी ने कहा कि अपनी बहू को बेटी के समान माना और प्रशिक्षण लेने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि यदि समाज बहू को बेटी मान ले तभी हमारा देश प्रगति कर सकता है।
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