धर्म

स्वामी राजदास : कर्म और फल

एक समतल भूमि है..दूर दूर तक भूमि समतल है लेकिन उसमें एक जगह गढ्ढा है। अब आप यह सत्य जानने की कोशिश कीजिये कि गड्ढा किसने खोदा। आप आसपास के लोगों से पूछेंगे।किसी को नहीं मालूम कि गड्ढा किसने खोदा क्योंकि वह गड्ढा वहां पर बरसों से है। फिर आपको किसी बुजुर्ग ने बताया कि फलां आदमी ने बरसों पहले वह गड्डा खोदा था। भई अब आप पूछेंगे कि उस आदमी ने गड्ढा क्यों खोदा? जीवन आधार प्रतियोगिता में भाग ले और जीते नकद उपहार

सत्य जानने के प्रयास में आपको पता चलेगा कि उस फलां आदमी ने एक दूसरी जगह का गड्ढा भरने के लिए वह गड्ढा खोदा था। यानी उसने इस गड्ढा कि मिटटी उस पुराने गड्ढा में डाल दी थी। अब आप पूछेंगे कि भाई वो पुराने वाला गड्ढा किसने खोदा था? इस तरह आप सत्य का पता लगाते लगाते थक जायेंगे। आपको यह पता नहीं चलेगा कि सबसे पहले गड्ढा किसने खोदा था और उसकी मिटटी कहाँ गई ?पार्ट टाइम नौकरी की तलाश है..तो यहां क्लिक करे।
कुछ इसी तरह कर्म दोष का हिसाब है। अगर देवता किसी मनुष्य को कहें कि उसके बुरे फल का कारण पिछले जन्मों के कर्म हैं तो गलत नहीं होगा क्योंकि मनुष्य नश्वर है। उसके लिए इतना जानना काफी है कि पिछले जन्म में कोई पाप हुआ था,उसका फल वह भुगत रहा है। लेकिन देवता अमर हैं, वह सत्य का पता लगाते लगाते सृष्टि के आरम्भ में पहुँच जायेंगे और पता लगा लेंगे कि कर्म दोष के बीज सृष्टि के आरम्भ में ही बोये गए थे। क्योंकि किसी भी चीज के जन्म में ही उस चीज की मृत्यु के बीज बोये जाते हैं।
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Jeewan Aadhar Editor Desk

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