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डबवाली अग्निकांड : 22 साल बाद आज भी पीड़ितों के जख्म हरे

सिरसा,
डबवाली अग्निकांड की आज 22 वीं बरसी है। आज ही के दिन 23 दिसंबर 1995 को हरियाणा के डबवाली के चौटाला रोड पर स्थित तत्कालीन राजीव मैरिज पैलेस (अब अग्निकांड स्मारक स्थल) में डीएवी स्कूल डबवाली का वार्षिक कार्यक्रम में आग से स्कूली बच्चों समेत 442 लोगों की मौत हो गई थी। इस हादसे में तत्कालीन डीएसपी अनिल राव की बेटी की भी मौत हो गई थी। शवों के अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट भी छोटा पड़ गया था।
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नहीं भूला जा सकता
आज की तारीख हरियाणा को झकझोर कर रख देती है और वो जख्म आज भी ताजा है। सिरसा के डबवाली के डीएवी स्कूल में साल का जश्न मनाया जा रहा था। लेकिन इस खुशी में ऐसी खलल पड़ी कि खुशी का माहौल मातम में बदल गया। देखते ही देखते 442 लोग जिंदा जल गए थे। जीवन आधार न्यूज पोर्टल के पत्रकार बनो और आकर्षक वेतन व अन्य सुविधा के हकदार बनो..ज्यादा जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।

कैसे हुआ था अग्निकांड ?
वार्षिक उत्सव के दौरान पंडाल के गेट पर शॉट सर्किट हुआ और चंद मिनटों में आग ने पूरे पंडाल को अपनी चपेट में ले लिया। पंडाल के पास ही खाना बनाने के लिए गैस सिलेंडर रखा था, जो आग से जल उठा। बिजली के तार ने भी आग पकड़ ली। पास रखे जनरेटर में भी डीजल होने के कारण आग और भड़क गई। पंडाल के ऊपर तिरपाल की छत बिछाई गई थी। तिरपाल की पॉलिथीन में आग लग जाने से वो पिघलती हुई लोगों पर गिरी और देखते ही देखते लाशों का ढेर बिछ गया। ऊपर से प्लास्टिक की तिरपाल आग बरसा रहे थे तो नीचे कुर्सियों पर लगा प्लास्टिक पिघल कर आग की नदी बन चुकी थी। यहां काल का तांडव इतना अधिक भयंकर था कि इसे सुनने से ही रोंगटे खड़े हो जाते है।

अपनी बेटी खोकर दूसरों के लाल बचाए
हरियाणा के आईजीपी सीआईडी अनिल राव ने इस हादसे में अपनी बेटी को खो दिया। लेकिन इसके बाद भी उन्होंने अपनी जान पर खेलकर कई मासूम बच्चों को बचा लिया। इस हादसे में अनिल राव के हाथ, कान और चेहरे का एक हिस्सा बुरी तरह झुलस गया। 1995 सेे वे लगातार आज के दिन डबवाली जाते है और हादसे के शिकार लोगों को श्रद्धांजलि देते है। नौकरी की तलाश है..तो यहां क्लिक करे।

छोटा पड़ गया था श्मशान, खेतों में हुआ संस्कार
1बजकर 47 मिनट पर शॉर्ट सर्किट से पंडाल के गेट से लगी आग ने देखते ही देखते कुछ ही मिनटों में 442 लोगों को लील लिया। जिसमें 36 वयस्क, 258 स्कूली बच्चे और 125 महिलाएं और 13 अन्य थे, जबकि 88 लोग घायल हुए थे। इस कार्यक्रम में करीब दो हजार लोगों ने भाग लिया था। आग से झुलसे लोगों में से 30 ऐसे लोग हैं, जिनके अंग-भंग हो गए। ये अब तक देश का सबसे बड़ा अग्निकांड माना जाता है।
हादसे के बाद राजीव पैलेस में लाशों का अंबार लग गया था और हालात ये हो गये कि अंतिम संस्कार के लिए श्मसान भी छोटा पड़ गया। जिसकी वजह से खेतों में लोगों का अंतिम संस्कार किया गया। इस हादसे को आज 22 साल हो चुके हैं लेकिन सवाल ये है कि इन 22सालों में हमने इस हादसे से कितना सबक लिया।
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