धर्म

स्वामी राजदास : तुम सेवा से पाओगे पार

सिखों के तीसरे गुरु, गुरु अमरदास जी ने 62 वर्ष की आयु में गुरु अंगद देव जी से दीक्षा प्राप्त की थी। दीक्षा लेकर दरबार में ही रहकर सेवा करने लगे। भाग्य से उन्हे गुरु अंगद देव जी की सेवा का मौका मिल गया। गुरु जी की सेवा में ऐसे रमे कि अपने खान-पान और आराम की कभी परवाह नहीं की। आधी रात को ही उठ जाते। गुरु जी के स्नान के लिए व्यास नदी में से पानी का घड़ा भरकर लाते और ब्रह्ममुहूर्त में गुरुजी को स्नान कराते। गुरु की सेवा में कोई कोताही नहीं बरतते। हर वक्त एक दास की भांति हाथ बांधे खड़े रहते और गुरु साहब की सेवा में इतने लीन थे कि अपना आपा भी भूल गए थे। नौकरी की तलाश है..तो यहां क्लिक करे।
बरसात का मौसम था, एक दिन बहुत जोर से बारिश हो रही थी। बारिश के कारण गली में पानी भर गया था। लेकिन सेवक अमरदास को क्या परवाह, रात को बारह बजे ही घड़ा उठाकर पानी भरने चल दिए। नदी पर पहुंचे। बारिश के कारण नदी के किनारों से मिट्ठी खिसक रही थी। नदी में घुसकर उन्होने घड़ा पानी से भरा और वापस चल दिए। जब वे गली से गुजरे तो एक तो रात का अंधेरा ऊपर से गली में पानी भरा था, उन्हें गड्ढा दिखाई नहीं दिया। उनका पैर फिसला और वे गड्ढे में जा गिरे। लेकिन गिरते वक्त भी उन्होने अपनी परवाह न करत हुए घड़े को संभाला और घड़े को गिरने नहीं दिया। जीवन आधार प्रतियोगिता में भाग ले और जीते नकद उपहार
उस गली में किसी जुलाहे का घर था। जब किसी को गिरने की आवाज आई तो जुलाहे ने अपनी धर्मपत्नी से कहा-ऐसा लगता है कोई गिर गया है कौन होगा? जुलाहे की घरवाली बोली-और दूसरा कौन हो सकता है, अमरु होगा। बेचारा लावारिस है गिर गया होगा। वही इतनी सुबह नदी से पानी भरकर लाता है। अमरदास जी ने उन दोनों की वार्ता सुनी परन्तु कुछ नही बोले। पानी का घड़ा लेकर दरवार में पहुंचे । नित्य प्रति की भांति गुरुजी को स्नान करवाया।

सुबह हुई। गुरुजी के दर्शनों हेतु संगत आने लगी। गुरुजी आकर गद्दी पर विराजमान हुए। किसी सेवादार को आदेश दिया और जुलाहे की पत्नी को बुलवा भेजा। गुरुजी ने जुलाही से कहा- रात तुमने अमरदास जी के बारे में जो कहा वही बात फिर से कहों। जुलाही डर के मारे थर-2 कांपने लगी। उस समय तो मुहं से ऐसा निकल गया परन्तु अब तो डर के मारे कलेजा मुहं को आ गया। खैर रोते हुए कहने लगी- गुरुजी ! मुझसे भूल हो गई जो मेरे मुंह से यह निकल गया कि बेचारा लावारिस अमरु गिर गया। मुझे क्षमा करें। जीवन आधार न्यूज पोर्टल के पत्रकार बनो और आकर्षक वेतन व अन्य सुविधा के हकदार बनो..ज्यादा जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।
गुरु अंगद देव जी कहने लगे कि कौन कहता है अमरदास बेचारा है, लावारिस है? यह लावारिस नहीं है। यह तो दुखियों का दुख हरने वाला, असहायों का सहारा और निआश्रितों का आश्रय है। यह लाखों लोगों का सहारा बनेगा। यह कहते हुए अमरदास जी को गले से लगा लिया।
सेवा परमात्मा को पाने का सबसे सुगम और सरल रास्ता है। निष्काम भाव से की गई सेवा हमें मानसिक व आत्मिक शांति की अनुभूति कराती है।
जीवन आधार बिजनेस सुपर धमाका…बिना लागत के 15 लाख 82 हजार रुपए का बिजनेस करने का मौका….जानने के लिए यहां क्लिक करे

Related posts

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—197

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—293

Jeewan Aadhar Editor Desk

स्वामी राजदास : विचारधारा