हिसार

अधिकारियों का कारनामा, सीएम विंडों में शिकायतकर्ता से ही मांगे निशानदेही के पैसे

हिसार,
प्रशासन की नाकामी के चलते अवैध कब्जा करने वालों के हौंसले इस कदर बढ़ चुके है वे अब बीच सड़क में कब्जा करके 20—20 फीट के निर्माण करने लगे है। मामला बालसमंद गांव का है। यहां हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी के बाहर की 40 फीट की आरसीसी की सड़क पर एक व्यक्ति ने अवैध निर्माण करते हुए दुकानें बना ली। निर्माण करने वाले व्यक्ति का दावा है कि उसके पास जगह की डिग्री है। हद तो ये है कि सीएम विंडो में शिकायत देने के बाद अधिकारियों ने शिकायतकर्ता से निशानदेही के पैसे मांग लिए। और तो और जून माह से चल रहे अवैध निर्माण को रोकने में किसी ने दिलचस्पी नहीं दिखाई, इसके चलते ये चारों दुकानें न केवल पूरी हो गई बल्कि इन पर शटर तक लग गए।

ये है मामला
1982 से 40 फीट की सड़क हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी के बाहर बनी हुई है। पहले ये सड़क कच्ची थी। सन 2000 में पूर्व सीएम चौ.भजनलाल ने राज्यसभा सांसद बीडी गुप्ता के कोटे से 1 लाख रुपए की ग्रांट भेजकर इस सड़क को ईंटों से बनवाई। बाद में बालसमंद को आदर्श गांव घोषित किया गया तो इस सड़क को आरसीसी से बनवाया गया। तब से लेकर जून 2017 तक यह पूरी सड़क 40 फीट की बनी रही। लेकिन जून में पवन कुमार ने सड़क पर 20 फीट का कब्जा करते हुए बीच सड़क में 4 दुकानें बनानी शुरु कर दी। इस पर समाजसेवी डा. सुरेश शर्मा ने एतराज उठाते हुए ग्राम पंचायत के सरपंच प्रतिनीधि और खंड कार्यालय में आकर शिकायत मौखिक शिकायत दी। लेकिन शिकायत पर कोई कार्य न होते देख उन्होंने 31 जुलाई को सीएम विंडो में अपनी शिकायत लगा दी। नौकरी की तलाश है..तो यहां क्लिक करे।

ऐसे बना सीएम विंडो मजाक
सीएम विंडो में शिकायत लगाने के बाद भी कोई अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। हद तो ये हो गई कि 10 अगस्त को अधिकारियों और कष्ट निवारण समिति के एक सदस्य घनश्याम ने कार्यालय में ही बैठ कर शिकायत पर अपनी टिप्पणी लिखकर इसे रद्दी में ड़ाल दिया। इन्होंने अपनी टिप्पणी में लिखा कि शिकायतकर्ता द्वारा अवैध निर्माण को लेकर कोई साक्ष्य नहीं दिया है, इसलिए जब तक साक्ष्य नहीं दिए जाते इस पर कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती। इसके बाद हिसार सेकेंड के खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी ने 19 सितंबर को पत्र जारी करके डा. सुरेश शर्मा को कहा कि वे विवादित भूमि कर निशानदेही करवाएं। पत्र में लिखा है कि उपायुक्त महोदय हिसार के पत्र क्रमांक 507—23/ विकास दिनांक 18.09.2017 के द्वारा निशानदेही की फीस शिकायतकर्ता से वसूल करके शिकायतकर्ता द्वारा ही निशानदेही करवानी जानी निश्चित है। जीवन आधार प्रतियोगिता में भाग ले और जीते नकद उपहार

सीटीएम ने कहा गलत है पत्र
इस पत्र के मिलने के बाद डा. सुरेश शर्मा सीटीएम शालिनी चेतल से मिले तो उन्होंने कहा कि सीएम विंडो पर शिकायत के बाद पत्र लिखकर शिकायत कर्ता से निशानदेही करवाने के निर्देश देने को गलत बताया। इसके बाद उन्होंने खंड विकास अधिकारी से मामले के पूरे कागजात मांगे।
उपायुक्त के आदेश हुए हवा
सीटीएम कार्यालय से हल न निकलने पर डा. सुरेश शर्मा 4 दिसंबर को उपायुक्त निखिल गजराज से मिले। उन्होंने मामले की सुनवाई करते हुए डीडीपीओ को मौके पर जाकर कब्जे की रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए। लेकिन उपायुक्त के आदेश को ठेंगा दिखाते हुए डीडीपीओ 15 दिन तक मौके पर नहीं गए। इसके बाद डा. सुरेश शर्मा 19 दिसंबर को एक बार फिर उपायुक्त से मिले। मामले पर कार्रवाई न होने पर उपायुक्त ने डीडीपीओ को तलब किया तो वे 19 दिसंबर को मौके पर पहुंचे और कब्जे को देखा। लेकिन इसके बाद अब तक कोई कार्रवाई विभाग की तरफ से नहीं की गई।

पंचायत ने किया प्रस्ताव पारित
इसी बीच 22 अक्टूबर को पंचायत ने ग्रामसभा की बैठक में प्रस्ताव पारित करते हुए सड़क पर बनी चारों दुकानों को अवैध माना। पंचायत ने अपने प्रस्ताव में बताया कि पवन कुमार को पंचायती राज एक्ट 1994 की धारा 24 ‘1’ व 24 ‘2’ के तहत नोटिस जारी कर दिया। लेकिन पवन ने इसका कोई जवाब नहीं दिया। इसके चलते मामला एसडीएम कोर्ट में 133 सीआरपीसी के तहत ड़ाला गया। इसमें पैरवी का अधिकार पंचायत ने सरपंच मंजू देवी व पंच कालूराम को दिया गया।

निगरानी कमेटी ने बताया गलत
शिकायत मिलने पर आदमपुर विधानसभा के निगरानी कमेटी के अध्यक्ष मुनीश ऐलावादी ने मौके का निरीक्षण किया। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा कि प्रथम दृष्टि में ये निर्माण पूरी तरह से गलत है। इस पर आरोपी पक्ष से जवाब—तलब करते हुए मामले पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

क्या है पवन का दावा
पवन का कहना है पंचायत ने उसकी जमीन पर सड़क का गलत निर्माण कर दिया था। उसके पास अपने निर्माण वाले स्थान की डिग्री है। लेकिन जब जमीन उसकी थी कि तो उसने 1982 में यहां सड़क क्यों बनने दी। जब सन् 2000 में यहां ईंटों की सड़क बनी तो उसने या उसके परिवार ने आपति क्यों नहीं उठाई। इसके बाद जब आरसीसी की सड़क का निर्माण किया जा रहा था तो उसने पंचायत को रोका क्यों नहीं—ये सभी वो सवाल है जिसके पवन के पास कोई जवाब नहीं है।

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