फतेहाबाद (साहिल रुखाया)
https://youtu.be/vaoKNN8hUrY
अब तक बिना पैसों के प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों का इलाज नहीं किए जाने के मामले आपने सुने होंगे लेकिन हरियाणा के फतेहाबाद में सरकारी अस्पताल में पैसे नहीं होने पर एक महिला मरीज का इलाज बाधित करने का मामला सामने आया है। फतेहाबाद के सरकारी अस्पताल में खून से लथपथ महिला मरीज की जान की कीमत डाक्टर द्वारा मात्र 275 रुपये आंकी गई है। अस्पताल में मात्र 275 रुपये की सरकारी फीस जमा नहीं होने पर ड्यूटी डॉक्टर और स्टाफ ने मरीज को इमरजेंसी वार्ड के बैड पर पड़े रहने दिया। इंसानियत तो उस समय यहां शर्मसार हो गई जब पैसे न होने के कारण उसे प्राथमित इलाज तक नहीं दिया गया। नौकरी की तलाश है..तो यहां क्लिक करे।
दरअसल, भट्टू क्षेत्र की रहने वाली संतोष नामक महिला को घरेलू झगड़े में उसके पति ने छाती में चाकू मार दिया था और उसके बाद महिला को किसी ने भट्टू के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पहुंचाया। वहां से उसे फतेहाबाद के नागरिक अस्पताल में रैफर किया गया था। नागरिक अस्पताल फतेहाबाद में जब महिला पहुंची तो यहां पर तैनात ड्यूटी डॉक्टर कुलदीप ने सरकारी फीस 275 रुपए जमा करवाने के लिए कहा। बाद में स्टाफ की ओर से डॉक्टर को जानकारी दी गई कि महिला के साथ उसका कोई परिजन मौजूद नहीं है और महिला के पास पैसे नहीं है। इस पर डॉक्टर ने महिला को इमरजेंसी वार्ड के बैड पर भेज दिया और उसकी कोई सुध नहीं ली।
इस घटना की कवरेज करने के लिए जीवन आधार न्यूज पोर्टल के पत्रकार जब अस्पताल पहुंचे और महिला का इलाज फीस जमा नहीं होने की जानकारी हुई तो पत्रकार ने अस्पताल स्टाफ को 275 रुपये की सरकारी फीस जमा करवाई। यह फीस जमा होने के बाद महिला की एमएलआर काटी गई और उसे ड्रिप लगा लगाकर इलाज शुरू किया गया।
मामले की गंभीरता को देखते हुए जब पत्रकारों ने ड्यूटी डॉक्टर से पैसे न होने पर महिला का इलाज प्रभावित करने पर प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की तो ड्यूटी डॉक्टर अपनी जिम्मेदारी से भागते नजर आए। यहां तक कि मीडिया के कैमरे पर ड्यूटी डॉक्टर ने कुछ भी बोलने से साफ इंकार कर दिया।
इसके बाद तुरंत स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों को मामले की जानकारी दी गई तो अधिकारियों ने जांच कर मामले में उचित कार्रवाई की बात कही। बाद में इस मामले में सिविल अस्पताल के एसएमओ डॉ. ओपी देहमीवाल ने मीडिया के सामने आकर कहा कि पूरे मामले की जांच की जा रही है और यदि ड्यूटी डॉक्टर या किसी स्टाफ की लापरवाही इस मामले में सामने आती है तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जीवन आधार न्यूज पोर्टल में पत्रकार बने .. 72 हजार रुपए से 3 लाख रुपए का वार्षिक पैकेज व अन्य सुविधाएं ले..ज्यादा जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।
एसएमसो साहब चाहे जांच की बात कर रहे हो, लेकिन खून से लथपथ मरीज को इस प्रकार तड़फते बेड पर छोड़ना डाक्टरी पेशे को कलंकित करने के समान है। ऐसे डाक्टरों के कारण ही देव तुल्य माने जाने वाले इस वर्ग के प्रति समय—समय पर लोगों का गुस्सा देखने को मिलता है।
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