हिसार,
हरियाणा रोडवेज संयुक्त कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष दलबीर किरमारा ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मांग की है कि वे जनहित में निजीकरण की प्रक्रिया को रोककर सभी विभागों में खाली पड़े लाखों पदों पर नियमित भर्ती करें। नियमित भर्ती से हर विभाग के कार्य में कार्यकुशलता आएगी वहीं लाखों बेरोजगारों को रोजगार मिल सकेगा। जीवन आधार पत्रिका यानि एक जगह सभी जानकारी..व्यक्तिगत विकास के साथ—साथ पारिवारिक सुरक्षा गारंटी और मासिक आमदनी भी..अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।
एक बयान में दलबीर किरमारा ने कहा कि प्रदेश में पिछले लंबे समय से सभी विभागों में खाली पड़े पदों को नियमित भर्ती से भरे जाने की बजाय निजीकरण व ठेका प्रथा की नीतियां अपनाई जा रही है। इसके चलते विभिन्न पदों के लिए युवा वर्ग नौकरी करने के लिए आगे तो आ रहे हैं लेकिन स्थाई नियुक्ति न होने के कारण उनकी नौकरी पर हर समय तलवार लटकी रहती है और वह अपने भविष्य के प्रति चिंतित रहता है। यदि नौकरी पर लगने के बावजूद युवा अपने भविष्य के प्रति चिंतित रहेगा तो इसका प्रभाव उसकी कार्यक्षमता पर पडऩा स्वाभाविक है और इसका सीधा असर उसके विभाग की कार्यकुशलता पर पड़ेगा। इसलिए किसी भी विभाग की कार्यकुशलता बढ़ाने व युवाओं को रोजगार देने के लिए सबसे पहले स्थाई भर्ती किया जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार सभी विभागों में खाली पड़े पदों पर स्थाई भर्ती करती है तो प्रदेश के लाखों बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिल सकता है। प्रदेश में बढ़ती बेरोजगारी की समस्या पर अंकुश लगाने व युवा वर्ग को सही रास्ते पर बनाए रखने के लिए जरूरी है कि पढ़ाई पूरी होने के साथ ही युवा को उसकी योग्यता के आधार पर रोजगार मिले लेकिन रोजगार स्थाई होना चाहिए। नौकरी की तलाश है..तो जीवन आधार बिजनेस प्रबंधक बने और 3300 रुपए से लेकर 70 हजार 900 रुपए मासिक की नौकरी पाए..अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।
दलबीर किरमारा ने कहा कि निजीकरण व ठेका प्रथा किसी के हित में नहीं है। न तो इससे बेरोजगारी की समस्या का समाधान हो रहा है, न विभागों की कार्यकुशलता बढ़ रही है और न ही सरकार के कामकाज में सुधार हो रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार को निजीकरण की नीति पर आगे बढऩे से पहले रोडवेज व बिजली निगम में अपनाई की गई निजीकरण की प्रक्रिया का अध्ययन कर लेना चाहिए, जिससे न तो जनता संतुष्ट है, न कर्मचारी संतुष्ट है और न ही रोडवेज या बिजली निगम को कोई फायदा हुआ। उन्होंने कहा कि चिकित्सा के क्षेत्र में निजी अस्पताल व शिक्षा के क्षेत्र में निजी स्कूल दिन-प्रतिदिन तेजी से पनपते जा रहे हैं, लेकिन इस बात को भी झुठलाया नहीं जा सकता कि निजी अस्पतालों का इलाज व निजी स्कूलों की शिक्षा आम आदमी के वश की बात नहीं है। यही नहीं, सबसे बड़ी बात यह है कि निजी क्षेत्र के संचालक सरकार के आदेशों को सरेआम ठेंगा दिखाते हैं लेकिन दुर्भाग्य है कि इसके बावजूद सरकार निजीकरण की तरफ चलती रहती है। यदि इसकी बजाय सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बारे सोचे तो जनता को बहुत सी सुविधाएं मिल सकती है। उन्होंने कहा कि इस बारे में उनका संगठन मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर उनसे मुलाकात करेगा।
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