हिसार

संपत सिंह का खुलासा, इनेलो शासनकाल में हुआ था दो सप्ताह की बजाय एक सप्ताह पानी

हिसार (राजेश्वर बैनीवाल)
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री प्रो. संपत सिंह ने दो सप्ताह नहरी पानी की मांग पर धरने पर बैठे किसानों के बीच जाकर उस सरकार की कारस्तानी सामने ला दी जिस सरकार में वे मंत्री थे। आंदोलनरत किसानों के समर्थन में जाकर पूर्व मंत्री ने आज स्पष्ट कह डाला कि यह समस्या 196 गांवों की है और वर्ष 2001 से यह समस्या शुरू हुई थी। हुड्डा सरकार में इस समस्या के समाधान के प्रयास आरंभ भी हुए लेकिन बाद में बनी भाजपा सरकार ने राजनीतिक दखंलदाजी के चलते मामला फिर ठंडे बस्ते में डाल दिया।

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वर्ष 2001 में प्रदेश में इनेलो की सरकार थी और पार्टी प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला मुख्यमंत्री थे। वरिष्ठ नेता प्रो. संपत सिंह उस सरकार में मंत्री थे और वित्त मंत्री थे। हिसार के लघु सचिवालय के समक्ष धरने पर बैठे किसानों के समर्थन में पहुंचे प्रो. संपत सिंह ने बताया कि पहले इन क्षेत्रों में नहरें दो सप्ताह चलती थी। दुर्भाग्य से 6 जनवरी, 2001 से बीएमएल बरवाला लिंक चैनल में पानी की सप्लाई 1550 क्यूसिक से घटाकर 1300 क्यूसिक कर दी गई और दो गु्रपिंग की बजाय 3 गु्रपिंग कर दी गई तथा 2 सप्ताह से पानी घटाकर 1 सप्ताह कर दिया गया, जोकि इन क्षेत्रों के लिए एक काला दिवस साबित हुआ। प्रो. सिंह ने धरनारत किसानों के समक्ष ये उल्लेख भी कर डाला कि जिस समय पानी घटाने का ये फैसला हुआ था, ये उनकी जानकारी में नहीं था क्योंकि मुख्यमंत्री के पास ही कृषि मंत्रालय था और इस तरह के आदेश सरकार के मुखिया के निर्देशों पर विभाग के मुख्य अभियंता ही जारी करते हैं। मामला ध्यान में भी आ जाता, लेकिन उस समय नलवा हलका भी नहीं था और वे खुद भट्टू हलके का प्रतिनिधित्व करते थे।

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किसानों के बीच पहुंचे प्रो. सिंह ने कहा कि दो सप्ताह नहरी पानी की मांग हिसार जिले लगभग 196 गांवों की है। विशेषकर टेल पर पडऩे वाले नलवा व आदमपुर हलके के 50 गांव बुरी तरह प्रभावित है। जमीन के नीचे का पानी भी खारा है जिसकी वजह से नलकूपों से भी खेती नहीं कि जा सकती और किसानों को केवल नहरी सिंचाई पर ही निर्भर रहना पड़ता है इसी कारण किसान बार-बार आंदोलन कर रहे है। उन्होंने सरकार से मांग की कि हिसार में धरने पर बैठे हुए किसानों की मांग को तुरंत मानें। उन्होंने कहा कि उनके नलवा हलके से विधायक बनने के बाद उन्होंने इस समस्या का समाधान निकालने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री चौ.भूपेन्द्र सिंह हुडडा से निवेदन किया और परिणामस्वरूप नहर अधिकारियों को इस समस्या का हल करने के लिए आदेश दिये गए। परिणामस्वरूप हरियाणा सरकार ने 18 जुलाई, 2012 को हरियाणा, पंजाब, राजस्थान व केन्द्रीय जल आयोग के उच्च अधिकारियों से बैठक करके भाखड़ा मुख्य नहर की मरम्मत व ऊंचा करने के लिए एक योजना केन्द्रीय जल आयोग को भेजी।

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प्रो. संपत सिंह ने बताया कि इस योजना का सबंध भाखड़ा नहर से बरवाला ब्रांच को 1300 क्यूसिक की बजाय 1700 क्यूसिक पानी देने से था। इसके लिए भाखड़ा नहर की मरम्मत बुर्जी न. 445000 से बुर्जी न. 466050 तक करनी थी व इसके किनारों की ऊॅचाई 18 फुट की जगह 19.4 फुट किये जाने थे। यह काम पजांब क्षेत्र में होना था। अत: पजांब सरकार ने 19.12.2014 को इसका कुल अनुमानित खर्चा 4.87 करोड़ रू. बताया। हरियाणा सरकार ने इस योजना की प्रशासनिक मंजूरी 21 जनवरी 2015 को देकर 3.72 करोड़ रुपये पजांब सरकार के खाते में जमा करवा दिये। उन्होंने कहा कि यह काम तेजी से चल रहा था परंतु 24 अपै्रल 2015 को राजस्थान की मुख्यमंत्री ने पंजाब के मुख्यमंत्री को पत्र लिखा कि इस नहर की ऊंचाई बढऩे से हरियाणा हमारे हक का पानी लेगा जिससे हमें नुकसान होगा। उन्होंने पंजाब सरकार से कहा कि इस कार्य को तुरंत बंद किया जाए, इसलिए पंजाब सरकार ने इस कार्य को मई 2015 में बंद कर दिया। उस समय तक बुर्जी न. 445000 से 462000 बुर्जी न. तक काम पूरा हो गया था, परंतु बुर्जी न. 462000 से 466050 बुर्जी न. तक का कार्य अभी शेष है। इस पर कुल राशी 367.67 लाख खर्च हो चुकी है।

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प्रो. संपत सिंह के अनुसार इसके बाद सिंचाई विभाग के प्रधान सचिव ने इस कार्य को दोबारा शुरू करवाने के लिए पंजाब के सिंचाई विभाग के प्रधान सचिव को एक पत्र लिखा, जिस पर न तो उनके हस्ताक्षर, न ही डी.ओ. नंबर और न ही कोई तारीख थी। इससे हरियाणा सरकार की नीयत पर प्रश्न चिन्ह लगता है। इस महत्वपूर्ण योजना को राजस्थान और पंजाब के मुख्यमंत्री स्तर पर बंद करवाया गया था और उसका जवाब बड़े बेढ़ंगे तरीके से हरियाणा सरकार के सचिव ने दिया। उन्होंने सवाल किया कि क्या हरियाणा के मुख्यमंत्री के पास राजस्थान के मुख्यमंत्री को पत्र लिखने व मिलने का समय भी नहीं था? यही कारण है कि आज तक उनके ढीले रवैये की वजह से हिसार के 196 गांव जिनमें टेल पर पडऩे वाले 50 गांव नलवा और आदमपुर हलके के किसान कष्ट भोग रहे है। उन्होंने मांग की कि हिसार और विशेषकर नलवा और आदमपुर क्षेत्रों के किसानों को 2 सप्ताह पानी देने के लिए मुख्यमंत्री को तुरंत राजस्थान की मुख्यमंत्री से बात करके भाखड़ा नहर पर पंजाब क्षेत्र में दोबारा काम शुरू करवाना चाहिए।
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