धर्म

स्वामी राजदास : संतोष वृत्ति

एक महात्मा भ्रमण करते हुए नगर में से जा रहे थे। मार्ग में उन्हें एक रुपया मिला। महात्मा तो विरक्त और संतोषी व्यक्ति थे। वे भला उसका क्या करते? अतः उन्होंने किसी दरिद्र को यह रुपया देने का विचार किया। कई दिनों तक वे तलाश करते रहे, लेकिन उन्हें कोई दरिद्र नहीं मिला।
एक दिन उन्होंने देखा कि एक राजा अपनी सेना सहित दूसरे राज्य पर चढ़ाई करने जा रहा है। साधु ने वह रुपया राजा के ऊपर फेंक दिया। इस पर राजा को नाराजगी भी हुई और आश्चर्य भी। क्योंकि, रुपया एक साधु ने फेंका था इसलिए उसने साधु से ऐसा करने का कारण पूछा।

जीवन आधार पत्रिका यानि एक जगह सभी जानकारी..व्यक्तिगत विकास के साथ—साथ पारिवारिक सुरक्षा गारंटी और मासिक आमदनी और नौकरी भी..अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।

साधु ने धैर्य के साथ कहा- ‘राजन्! मैंने एक रुपया पाया, उसे किसी दरिद्र को देने का निश्चय किया। लेकिन मुझे तुम्हारे बराबर कोई दरिद्र व्यक्ति नहीं मिला, क्योंकि जो इतने बड़े राज्य का अधिपति होकर भी दूसरे राज्य पर चढ़ाई करने जा रहा हो और इसके लिए युद्ध में अपार संहार करने को तैयार हो रहा हो, उससे ज्यादा दरिद्र कौन होगा?’

राजा का क्रोध शान्त हुआ और अपनी भूल पर पछताते हुए वापस अपने देश को लौट गया।

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, हमें सदैव संतोष वृत्ति रखनी चाहिए। संतोषी व्यक्ति के पास जो साधन होते हैं वे ही पर्याप्त लगते हैं। उसे और अधिक की भूख नहीं सताती।
जीवन आधार बिजनेस सुपर धमाका…बिना लागत के 15 लाख 82 हजार रुपए का बिजनेस करने का मौका….जानने के लिए यहां क्लिक करे

Related posts

स्वामी राजदास : घमंड

Jeewan Aadhar Editor Desk

जीवन में स्थिरता, सहजता और सरलता लाने के लिए परमात्मा के साथ नाता जोड़ें : सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज

परमहंस स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—33

Jeewan Aadhar Editor Desk