हिसार (राजेश्वर बेनीवाल)
हरियाणा रोडवेज संयुक्त कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष दलबीर किरमारा ने राज्य सरकार द्वारा किलोमीटर स्कीम के तहत वाल्वो बसें किराये पर लेने के सरकार के फैसले पर कड़ा ऐतराज जताया है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार वाल्वो बसें चलाना चाहती है तो पर्याप्त स्टाफ की भर्ती करे और परिवहन बेड़े में सरकारी वाल्वो बसें शामिल करें। किराये पर लेकर वाल्वो बसें चलाए जाने का रोडवेज यूनियनों ने पहले भी विरोध किया है और अब भी यूनियने पीछे नहीं हटेंगी क्योंकि सरकार का यह फैसला विभाग को नुकसान पहुंचाने वाला व बस मालिक को फायदा पहुंचाने वाला है।
एक बयान में दलबीर किरमारा ने कहा कि हरियाणा राज्य सरकार ने 20 से अधिक वाल्वो बसें खरीदने का टेंडर जारी किया है, जिसके तहत परिचालक रोडवेज का होगा और चालक निजी कंपनी (जिसकी बस होगी) का होगा। सरकार का यह फैसला पूरी तरह से विभाग विरोधी, कर्मचारी विरोधी व जनविरोधी है। यदि सरकार वाल्वो बसें चलाना चाहती है तो खुद ये बसें खरीदकर परिवहन बेड़े में शामिल करें और बसों के लिए पर्याप्त स्टाफ की भर्ती करें। रोडवेज में चालकों, परिचालकों, कर्मशाला कर्मियों सहित हर तरह के स्टाफ की भारी कमी है और बार-बार मांग करने के बावजूद भर्तियां उस गति से नहीं की जा रही है, जिस गति से कर्मचारी सेवानिवृत हो रहे हैं। यदि सरकार वास्तव में जनता को परिवहन सुविधा देना चाहती है तो उसे जनहित की सोच रखते हुए साधारण बसों की संख्या बढ़ानी चाहिए, विभाग में भर्ती करनी चाहिए और वाल्वो चलाने की योजना पर पुनर्विचार करते हुए खुद की बसें खरीदकर वाल्वो चलानी चाहिए, अन्यथा मौजूदा फैसले का पुरजोर विरोध किया जाएगा, जिसकी जिम्मेवारी सरकार व विभाग के अधिकारियों की होगी।
दलबीर किरमारा ने कहा कि पूर्व की हुड्डा सरकार ने भी किराये पर वाल्वो लेकर चलाने का फैसला किया था, जिसका रोडवेज कर्मचारियों ने पुरजोर विरोध किया था। कर्मचारियों के विरोध को देखते हुए सरकार ने खुद वाल्वो खरीदकर चलाई और आज तक वे वाल्वो बसें मुनाफे में चल रही है। निजी वाल्वो पर कर्मचारियों के विरोध व सरकारी वाल्वो के मुनाफे को देखते हुए मौजूदा सरकार को भी खुद की वाल्वो चलानी चाहिए। उन्होंने कहा कि पूर्व की हुड्डा सरकार ने भी परिवहन विभाग को प्रयोगशाला बनाने का प्रयास किया था, जिसका विरोध हुआ और अब उसी परिपाटी पर भाजपा सरकार चल रही है तो कर्मचारियों का विरोध भी अवश्यंभावी है। उन्होंने कहा कि परिवहन विभाग में बड़े पैमाने पर हो रहे घाटे व भ्रष्टाचार के लिए कर्मचारी नहीं बल्कि सरकार की इस तरह की गलत नीतियां व अधिकारियों का भ्रष्टाचार है। ये तो कर्मचारियों की रात-दिन की मेहनत है कि वे विभाग को बचाए हुए है। सरकार को चाहिए कि वह केवल कर्मचारियों पर दोष मढऩे की बजाय घाटे के मूल कारणों को समाप्त करें।