हिसार,
हरियाणा रोडवेज संयुक्त कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष दलबीर किरमारा ने राज्य सरकार से मांग की है कि वह हठधर्मिता छोड़कर प्रदेश के आंदोलनरत वर्गों से बातचीत करें। उन्होंने कहा कि जब समाधान ही बातचीत है तो फिर इसमें देरी नहीं की जानी चाहिए लेकिन देरी करके प्रदेश सरकार आंदोलनरत वर्गों के रोष को और ज्यादा भड़का रही है। उन्होंने किसानों व आंगनवाड़ी महिलाओं को गिरफ्तार करके उन्हें प्रताडि़त करने की निंदा की और कहा कि सरकार को इतनी ऊर्जा खराब करने की बजाय बातचीत का रास्ता अपनाना चाहिए।
एक बयान में दलबीर किरमारा ने कहा कि प्रदेश में इस समय कोई न कोई वर्ग आंदोलन कर रहा है। हिसार सहित प्रदेश के हर क्षेत्र में किसान वर्ग आंदोलित है और किसानों की ऐसी कोई मांगे नहीं है जो मानी न जा सके। किसान वर्ग, जिसे नेता लोग अपने भाषणों में तो देश का पेट भरने वाला अन्नदाता कहते हैं लेकिन जब उसे कुछ देने की बारी आती है तो सरकार कन्नी काट लेती है। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार किसानों की आय दोगुनी करने का राग अलाप रही है, जो वर्तमान में संभव नजर नहीं आ रहा। किसानों की आय बढ़ाई जानी चाहिए और यह सही व समय की जरूरत भी है लेकिन सबसे पहले किसानों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाई जानी चाहिए ताकि आय बढ़ाना तो दूर, पहले वह अपने परिवार के पालन-पोषण के लायक तो कुछ कमा सके। उन्होंने कहा कि किसान वर्ग देश की जरूरत है, इसलिए सरकार को किसानों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए।
दलबीर किरमारा ने कहा कि वास्तव में प्रदेश में हो रहे किसान, आंगनवाड़ी महिलाओं, कर्मचारियों, कच्चे कर्मचारियों व मजदूरों के आंदोलन के लिए सरकार की गलत नीतियां ही जिम्मेवार है। किसान वर्ग अधिक पानी के लिए आंदोलन नहीं कर रहा बल्कि वह पानी मांग रहा है जो उनका कम कर दिया गया है। ऐसे में जब सरकार ने पानी एक झटके में कम कर दिया तो उसे पूरा करने में भी कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इसी तरह आंगनवाड़ी महिलाएं पिछले लंबे समय से सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने की मांग पर आंदोलन कर रही है और हर बार उन्हें आश्वासन देकर टरका दिया जाता है। यदि उनकी मांग जायज है तो फिर आश्वासन की बजाय उनकी मांग पूरी की जानी चाहिए। इसी तरह कच्चे कर्मचारी पक्का होने के लिए आंदोलन कर रहे हैं, जिसके लिए पूरी तरह से सरकार जिम्मेवार है। यदि सरकार कच्चे की बजाय शुरू में ही नियमित भर्ती करती तो इस आंदोलन से बचा जा सकता था, लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा। विभिन्न विभागों के पक्के कर्मचारी सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं, जिनकी समस्या का समाधान नहीं किया जा रहा। ऐसे में प्रदेश में हो रहे हर आंदोलन के लिए सरकार की गलत नीतियां, वादाखिलाफी व टरकाऊ नीतियां जिम्मेवार है। ऐसे में सरकार को आंदोलनरत वर्गों से बातचीत करके उनकी समस्या का समाधान करना चाहिए।
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