हिसार,
हरियाणा सरकार की संवेदनहीनता तथा लंबे आंदोलन के बावजूद सरकार द्वारा मांगों व समस्याओं पर ध्यान न दिये जाने के रोषस्वरूप हरियाणा संयुक्त कर्मचारी मंच एवं आंगनवाड़ी इंम्पलाइज फैडरेशनन ऑफ इंडिया से संबंधित आंगनवाड़ी वर्कर एंड हेल्पर यूनियन ने लघु सचिवालय के समक्ष भूख हड़ताल आरंभ कर दी है। यूनियन के आह्वान पर सुबह 10 से 4 बजे तक हर रोज 7 महिलाएं भूख हड़ताल पर बैठेंगी।
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भूख हड़ताल के पहले दिन यूनियन की जिला प्रधान बिमला राठी के नेतृत्व में हिसार-1 से इशवंती, हिसार-2 से बिमला कस्वां, बरवाला ब्लॉक से मोना, नारनौंद ब्लॉक से शकुंतला, हांसी-1 से कमलेश तथा हांसी-2 से निर्मला भूख हड़ताल पर बैठी। इससे पहले चंडीगढ़ प्रदर्शन के बाद हिसार लघु सचिवालय के समक्ष एकत्रित हुई आंगनवाड़ी महिलाओं को संबोधित करते हुए जिला प्रधान बिमला राठी ने कहा कि सरकार बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा दे रही है लेकिन वास्तव में इस नारे की स्वयं सरकार ही उपेक्षा कर रही है। प्रदेशभर में पिछले 24 दिनों से आंगनवाड़ी महिलाएं आंदोलन कर रही है लेकिन सरकार के मुखिया इस आंदोलन के खिलाफ गलत बयानबाजी करके आंदोलनरत महिलाओं का अपमान कर रहे हैं, जिसका खामियाजा सत्तारूढ़ भाजपा को भुगतना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का यह कहना औचित्यहीन है कि भाजपा ने चुनाव घोषणापत्र में इन महिलाओं को पक्का करने का वादा नहीं किया था। ऐसे अनेक फैसले सरकार लेती है, जिनका वादा चुनाव में नहीं किया जाता तो आंगनवाड़ी महिलाओं के मामले में मुख्यमंत्री चुनाव घोषणापत्र का रोड़ा क्यों अटका रहे हैं। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या भाजपा ने चुनाव घोषणापत्र में जो वायदे किये थे, वे पूरे कर दिये गये हैं।
बिमला राठी ने कहा कि महिलाएं पिछले 24 दिनों से आंदोलन कर रही है लेकिन सरकार के कानों पर जूं न रेंगना उसकी संवेदनहीनता को दर्शाता है। ऐसे में आंगनवाड़ी महिलाओं को और अधिक उत्साह के साथ आंदोलन में जुटना होगा ताकि सरकार को बताया जा सके कि आंदोलन की उपेक्षा का क्या परिणाम होता है। उन्होंने कहा कि सरकार की उपेक्षा के बावजूद आंदोलन में आंगनवाड़ी महिलाओं की हाजिरी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है जो इस बात का सूचक है कि सरकार के नकारातमक रवैये के प्रति इन महिलाओं में भारी रोष है।
उपरोक्त के अलावा धरने के 24वें दिन राजबाला सहारण, मंतारी, मूर्ति, रजविन्द्र, शकुंतला, अनिता, लक्ष्मी बालक, इन्द्रा बालक, पूनम नारनौंद, सीमा डाया, बीरमति रावतखेड़ा, रीना पुट्ठी, भतेरी ज्ञानपुरा, कौशल्या सातरोड खुर्द, सुनीता नया गांव, प्रेमो भैणी बादशाहपुर, रामदुलारी शेखपुरा, ऊषा सातरोड कलां, कमलेश कुंभा, बबीता सरसाना व कमला ज्ञानपुरा सहित सैंकड़ों महिलाएं आंदोलन में शामिल हुई।