हिसार

कृषि विविधिकरण के रूप में कर सकते खुंब उत्पादन : डॉ. अशोक गोदारा

एचएयू में खुंब उत्पादन तकनीक विषय पर तीन दिवसीय व्यवसायिक प्रशिक्षण का समापन

हिसार,
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए युवक-युवतियों के लिए खुंब उत्पादन तकनीक विषय पर तीन दिवसीय व्यवसायिक प्रशिक्षण का समापन हुआ। प्रशिक्षण का आयोजन विश्वविद्यालय के विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. बीआर कंबोज के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया।
कार्यक्रम के समापन अवसर पर मुख्य अतिथि सायना नेहवाल कृषि प्रौद्योगिकी प्रशिक्षण एवं शिक्षण संस्थान के सह-निदेशक(प्रशिक्षण) डॉ. अशोक गोदारा ने कहा कि कृषि विविधिकरण के अंतर्गत खुंब उत्पादन करके युवा स्वरोजगार हासिल कर सकते है। उन्होंने बताया कि खुंब की विभिन्न प्रजातियां लगा कर पूरा वर्ष आमदनी ली जा सकती है। खुंब एक लाभकारी व्यवसाय है। इसमें खेतों की जरूरत नहीं होती बल्कि इस व्यवसाय को 1-2 कच्चे/पक्के कमरों में शुरू किया जा सकता है और कम लागत से अच्छा फायदा लिया जा सकता है। उन्होंने बताया कि युवा इस व्यवसाय को अपनाकर स्वरोजगार प्राप्त कर सकते हैं। इस प्रशिक्षण के संयोजक डॉ. सतीश कुमार ने बताया कि खुंब एक शाकाहारी भोजन के साथ-साथ प्रोटीन का एक अच्छा स्त्रोत है। इसमे अति आवश्यक अमीनो एसिड, खनिज, लवण, विटामिन प्रचुर मात्रा में पाये जाते है। खुंब का सेवन एक संतुलित आहार होने के साथ-साथ यह औषधीय गुणों से भरपूर है। उन्होंने बताया कि किसान कम लागत से खुंब उत्पादन करने के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी।
कृषि अवशेषों को जलाने की बजाय खुंब उत्पादन के लिए करें प्रयोग
संस्थान के सहायक निदेशक डॉ. संदीप भाकर ने बताया कि किसान कृषि अवशेषों को खेत में जलाने की बजाए खुंब उत्पादन के लिए प्रयोग करें और अपनी आमदनी बढ़ायें। उन्होनें बताया कि खुब उत्पादन एक लाभकारी व्यवसाय है। इसे अपनाकर किसान अपनी आय बढ़ा सकता है। साथ ही समन्वित कृषि प्रणाली में खुंब को एक घटक के रूप में अपनाकर अपने खाली समय का सदुपयोग करते हुए कृषि आय बढाई जा सकती है। इस प्रशिक्षण में हरियाणा प्रांत के विभिन्न जिलों से आये 32 युवकों व युवतियों ने भाग लिया। पौध रोग विभाग के वैज्ञानिक डॉ. राकेश चुघ ने ढ़ीगरी खुंब व कीड़ा जड़ी खुंबों को उगाने की विधि से अवगत कराया। डॉ. जगदीप ने खुंब उत्पादन में केसिंग मिश्रण की उपयोगिता पर विस्तारपूर्वक चर्चा की। डॉ. मनमोहन ने खुंब में होने वाली बीमारियों तथा उनकी रोकथाम पर प्रकाश डाला। संस्थान के सहायक निदेशक डॉ. सुरेन्द्र सिंह ने बताया कि खुंब से मूल्य सवंर्धित उत्पाद जैसे अचार, बिस्कुट, पापड़ इत्यादि तैयार किये जा सकते हैं। ढ़ीगरी खुंब को सूखाकर तथा पाऊडर बनाकर लंबे समय तक रखा जा सकता है। संस्थान के सह निदेशक डॉ. भूपेन्द्र सिंह ने खुंब में लगने वाले कीड़ों तथा उनकी रोकथाम के उपाय सुझाये। डॉ. निर्मल कुमार ने खुंब उत्पादन में आर्थिक विश्लेषण पर चर्चा की और किसानों को प्रोजेक्ट तैयार करने का तरीका बताया। इस अवसर पर संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. डीके शर्मा तथा वैज्ञानिक डॉ. दलविन्द्र भी मौजूद थे। कार्यक्रम के अंत में डॉ. सतीश कुमार ने सभी का धन्यवाद किया।

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Jeewan Aadhar Editor Desk