सिवानी,
अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के प्रदेश अध्यक्ष पूर्व कमांडेंट हवा सिंह सांगवान एवं अध्यक्ष मंडल के अध्यक्ष भरत सिंह बेनीवाल ने सिवानी में अनिश्चित कालीन धरने के सातवें दिन जाट समाज को संबोधित करते हए कहा है कि हरियाणा सरकार जाटों को अपने ही खेतों में धरने पर बैठने की अनुमति न देकर सीधे सीधे तौर पर गैर सवैंंधानिक कार्य कर रही है जिसके दूरगामी दुष्परिणाम जल्दी ही सामने आ जाएंगे।
उन्होंने ये भी कहा कि कुछ जाट संगठन सरेआम जाटों को गुमराह कर रहे हैं कि जाटों के लडक़ों को जेल से बाहर करने व मुकदमों को वापिस करने के लिए 31 मार्च का समय दे रखा है, जबकि सच्चाई ये है कि आज तक इस संबंध में हरियाणा सरकार ने कोई भी समय नही दिया है। लोग अपनी मर्जी से समय सीमा बता रहे हैं। सांगवान ने कहा कि 27 जनवरी 2016 को उन्होंने मुख्यमंत्री के चंडीगढ़ निवास पर सैंकड़ों जाट नेताओं व खाप प्रधानों के सामने मिजोरम ,तेलंगाना व कश्मीर के उदहारण देकर आम माफी की प्रार्थना की थी कि जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान जितने भी मुकदमें दर्ज हुए हैं उनको बगैर किसी भेदभाव के सभी जातियों के मुकदमे वापिस लिए जाएं। लेकिन सरकार ने जानबूझकर देरी की। इसके परिणाम स्वरूप सारे मुकदमे न्यायालय में चले गए और अभी सरकार बहानेबाजी कर रही है कि उसके हाथ में नही रहा। इस संबंध में हरियाणा के प्रभारी अनिल जैन पहले ही बयान दे चुके हैं। इस प्रकार की हरियाणवी समाज विरोधी नीति अपनाकर हरियाणवी समाज का सरकार विनाश करने पर तुली है क्योंकि मुख्यमंत्री के समाज के लोगों पर एक भी मुकदमा दर्ज नहीं है, इसलिए मुख्यमंत्री का ये नारा कि हरियाणा एक हरियाणवी एक बेमानी हो जाता।
इस अवसर पर उनके साथ कैप्टन प्रताप कस्वां, रघुबीर सिंह बूरा, पूर्व सरपंच सुमेर सिंह, बलवान गढ़वाल, बाला राम विजरानिया, प्रताप सरपंच, सूबेदार ओमप्रकाश लाडवा, धर्मपाल छोत, सुनील कवि मतलौडा ,दलबीर सिवाच, टेकराम कैथल, रणसिंह रायपुर, रणसिंह पूनिया, हनुमान गैंडावास्, धर्मबीर गैंडावास, रामकुमार सिवाच, वेद धनाना, महेंद्र गढ़वा आदि अनेक जाट नेता उपस्थित थे।