आदमपुर
पंचतंत्र की कहानियों में पशु—पक्षियों को इंसान से बातचीत करते सभी ने पढ़ा होगा,लेकिन चूली खुर्द में एक युवक ऐसा भी है जिसकी बात सभी पक्षी समझते है और उससे बेहद स्नेह भी करते है। यहां हम बात कर रहे है ग्राम पंचायत समिति सदस्य सतपाल चूलियन की। सतपाल चूलियन को इलाके में जीव प्रेमी के रूप में पहचाना जाता है। सतपाल चूलियन से पक्षी प्रेम के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि गांव में तेजी से घटती पक्षियों की संख्या ने उसके मन में पक्षियों की देखभाल करके उनकी संख्या को बढ़ाने की बात आई। इसके लिए शुरूआत में कबूतरों की देखभाल करनी आरंभ की। क्योंकि कबूतर मानव प्रेमी जीव है और उसकी असमय मृत्यु भी संख्या में भी काफी इजाफा हो रहा है। उन्होंने कहा कि खेतों में हो रहे कीटनाशक के प्रयोग के कारण पक्षियों की मौत असमय हो रही है। इसलिए सबसे पहले कबूतरों को दिए जाने वाला दाना धोकर देना शुरु किया। उनके लिए साफ ताजा पानी की व्यवस्था की। धीरे—धीरे कबतरों की संख्या बढ़ने लगी। कबूतरों के आने के बाद चिड़िया, मैना और तोते भी आने लगे। सबको स्वच्छ दाना मिलने के कारण ये स्वास्थ भी दिखाई देने लगे। धीरे—धीरे उनका घर पक्षियों का रैन बसेरे में तबदील हो गया।
अब यहां कबूतर, चिड़िया,तोता,मैना, मोर और गिलहरी दाना-पानी चुगने आते है। जीव व पक्षियों का सतपाल से प्रेम इस कदर है कि वे हाथ पर आकर बैठ जाते है और इत्मीनान से दाना चुगते है। पक्षियों का सतपाल से इतना लगाव है कि वे सिर पर बैठकर नाचने लगते है। सबसे आश्चार्य की बात तो ये है कि ये पक्षी सतपाल के हाव—भाव और भाषा को समझने लगे है। दाना ड़ालते समय अगर वो किसी पक्षी को दूर होने को कहते है तो वे फौरन दूर जा बैठते है। इतना ही नहीं, पक्षी भी अपने हाव—भाव और चहचहाट से अपनी इच्छा सतपाल के समक्ष प्रस्तुत करते है—जिसे सतपाल बेखूबी समझता है। पक्षीप्रेम के कारण सुबह और शाम सतपाल के घर की छत पक्षियों की चहचाहट से गुलजार रहती है। पक्षियों का इस तरह आकर दाना चुगना परिजनों के अलावा ग्रामीणों को भी भा रहा है।
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