धर्म

ओशो : आंनद-समर्पण

अगर पाप होता तो तुम न होते! पाप होता तो ऋषि-मुनि, महर्षि न होते! पाप होता तो बुद्ध, महावीर न होते! पाप से बुद्ध और महावीर कैसे पैदा हो सकते हैं? पाप से कृष्ण और कबीर कैसे पैदा हो सकते हैं? और जिससे कृष्ण, बुद्ध, महावीर, मोहम्मद, नानक और फरीद पैदा होते हों, उसे तुम पाप कहोगे? जरूर देखने में कहीं चूक है, कहीं भूल हो रही है। काम तो जीवन का स्रोत है, काम अंश है प्रेम का! अधिक बडी संपूर्णता का! काम पवित्र है! इतना पवित्र कि काम से ही अस्तित्व का निर्माण होता हैं ! काम उतना ही पवित्र हैं! जितना जीवन में शेष सब पवित्र है। काम अस्तित्व का प्रारंभ हैं, काम सृष्टि का बीज है।
काम बड़ा रहस्य है जीवन का! सबसे बड़ा रहस्य! उसके पार बस एक ही रहस्य है, परमात्मा का! इसलिए मैं कहता हूँ, जीवन में दो रहस्य है। एक संभोग का और एक समाधि का! संभोग ने तुम्हें जीवन दिया है और समाधि तुम्हें मुक्ति देगा ! जीवन में यदि ऊर्जा का रूपांतरण कर लिया जाए! तो संभोग! समाधि बन जाती है और काम! ध्यान बन जाता है।

Related posts

ओशो : नारायण को धोखा

Jeewan Aadhar Editor Desk

स्वामी राजदास : कर्म का फल

Jeewan Aadhar Editor Desk

सत्यार्थप्रकाश के अंश—24

Jeewan Aadhar Editor Desk