जमुई,
बिहार के जमुई में सूदखोरी का एक अजीबोगरीब मामला सामना आया है। एक सूदखोर ने किसान को दिए एक बोरी चावल और एक बोरी गेहूं के बदले उससे साढ़े चार लाख रुपयों की मांग की है। पच्चीस साल पहले गरीबी की हालात मे अपने बच्चों को पालने के लिए जमुई जिले के सिकंदरा थाना क्षेत्र के माधोपुर गांव के रामधनी दास ने गांव के ही चंदर दास से 40 किलो चावल और 40 किलो गेहूं उधार लिया था। 25 वर्ष पहले लिया गया यह उधार आज पूरे परिवार के लिए मुसीबत बन गया है।
ब्याज के एवज में उधार देने वाला अब उससे दो बोरे अनाज के बदले चार लाख रुपए मांग रहा है। रामधनी दास के तीन बेटे हैं जो दिल्ली में काम करते हैं। आरोपियों ने रामधनी दास से अनाज की दो बोरी के बदले में पांच कट्ठा जमीन पर कब्जा कर लिया है। सूदखोर आरोपी का कहना है कि जमीन तभी वापस देगा जब वह चार लाख रुपये देगा। रामधनी और उसके परिजनों ने सिकंदरा थाना में आवेदन दिया है, लेकिन उनका आरोप है कि वहां कोई कार्रवाई नहीं हुई।
रामधनी के तीन कट्ठा जमीन पर मकान बना हुआ है और शेष दो कट्ठा जमीन पर आरोपियों का कब्जा है। जब उस जमीन की मांग की जाती है तो जबरन रजिस्ट्री करवाने की धमकी दी जाती है और दो बोरे गेहूं और चावल के बदले चार लाख रुपये की मांग की जाती है। इतना ही नहीं आरोप है कि रामधनी से 25 हजार रुपये लेकर जमीन रजिस्ट्री करने के लिए भी कहा जा रहा है और कर्ज माफ कर देने की बात कही जा रही है।
रामधनी और उसके परिजनों का कहना है कि 25 वर्ष पहले दो बोरे अनाज के बदले उन्होंने दो हजार रुपया दिए थे। इसके बावजूद उनसे चार लाख रुपये मांगे जा रहे हैं। इतना ही नहीं दो कट्ठा जमीन पर उन लोगों ने 18 वर्षों से कब्जा कर रखा है। अब जब जमीन की मांग की जा रही है तो उन लोगों द्वारा चार लाख 80 हजार रुपये मांगे जा रहे हैं।
शुक्रवार को इस समस्या से त्रस्त रामधनी दास, अपने बेटे रंजीत कुमार, भोला और बहु ललिता देवी और माधुरी देवी के साथ डीएम से मिलने पहुंचे। उन्होंने बताया कि इस मामले में दो महीने पहले पंचायत भी की गई थी, जिसमें पंचायत के द्वारा एकतरफा फैसला करते हुए 25 हजार रुपया लेकर जमीन उन लोगों के नाम करने का फैसला सुनाया। इधर डीएम के व्यस्त रहने के कारण अंचलाधिकारी और बीडीओ को गांव जाकर मामले की छानबीन करने को कहा गया है।