फतेहाबाद (साहिल रुखाया)
हरियाणा के जिला फतेहाबाद के गांव भिरडाना में प्रदेश की पहली सैनेटरी पैड यूनिट ने अपना कार्य आरम्भ कर दिया है। राज्य सरकार द्वारा स्कूली छात्राओं को सैनेटरी नैपकिन नि:शुल्क उपलब्ध करवाने के फैसले के दृष्टिगत सैनेटरी नैपकिन के लिए प्रति माह एक करोड़ 60 लाख रुपये से अधिक की धन राशि खर्च की जाएगी।
यह सैनेटरी पैड यूनिट कॉमन सर्विस सैंटर बहलभोमिया व रामपुरा द्वारा स्थापित की गई है, जिसका संचालन हरजीत राय कर रहे हैं। भारत सरकार के डिजीटल इंडिया कार्यक्रम के तहत प्रशासन द्वारा हरजीत राय को प्रेरित किया गया जो बायोडिग्रेडेबल पर्यावरण हितैषी सैनेटरी पैड बनाता है। इस यूनिट में अनुसूचित जाति एवं गरीब परिवारों की पांच से अधिक महिलाएं भी कार्य कर रही हैं।
कॉमन सर्विस सैंटर द्वारा स्थापित किए गए।यूनिट के सैनेटरी पैड की गुणवत्ता जांच के लिए पहले दौर में जिला फतेहाबाद में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय कुम्हारियां की चार दर्जन से अधिक छात्राओं को सैनेटरी पैड वितरित किए गए हैं। छात्राओं से इन सैनेटरी पैड बारे फीडबैक लिया जा रहा है ताकि इसकी क्वालिटी को और अधिक दुरूस्त किया जा सके।
हरियाणा के शिक्षा निदेशालय द्वारा अंबाला, कुरूक्षेत्र, पंचकूला तथा अन्य जिलों में सर्वे करवाया गया, जिसमें पता चला है कि कक्षा 6वीं से 12वीं तक की 75 फीसदी छात्राएं अपने मासिक पीरियड के दौरान सैनेटरी नैपकिन का इस्तेमाल नहीं करती। परेशानी के चलते छात्राओं की माताएं भी उन्हें स्कूल जाने से मना कर देती हैं, जिससे उनकी शिक्षा बाधित होती है। सर्वे के आधार पर शिक्षा निदेशालय ने फैसला लिया है कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत छात्राओं को मासिक पीरियड के दौरान राहत दी जाएगी। इस कार्य के लिए सरकार द्वारा करोड़ों रुपये की धन राशि खर्च की जाएगी।
छात्राओं व उनके अभिभावकों में जागरूकता उत्पन्न करने के लिए विशेष अभियान चलाने का निर्णय लिया गया है। इस अभियान के तहत पोस्टर, बैनर, चार्ट, फ्लैक्स, होर्डिंग्स, स्लोगन तथा मीडियाकर्मियों का सहयोग लिया जाए। इसके अलावा एनजीओ, बालिका मंच, कोर्डिनेटर्स व कलस्टर, रिसोर्स पर्सन आदि को प्रशिक्षण दिया जाए ताकि वे उपमंडल स्तर, गांव व ब्लॉक स्तर पर भी अभिभावकों को जागरूक कर सके।
संज्ञान में आया है कि प्रदेश के स्कूलों में स्कूल छोडऩे वाली छात्राओं का मुख्य कारण विद्यालयों में किशोरावस्था के दौरान आ रही दिक्कतों बारे मार्गदर्शन न होना, जानकारी का अभाव व घबराहट आदि होना पाया गया है। इस समस्या के समाधान के लिए किशोरावस्था में आने वाले बदलाव बारे छात्राओं को जागरूक किया जाए। कोई भी बालिका इसकी जानकारी के अभाव में शर्म महसूस कर स्कूल आना बंद न करें। बालिकाओं तथा बच्चों का शत-प्रतिशत स्कूल में पहुंचाना सुनिश्चित हो।