आदमपुर (अग्रवाल)
हिसार स्थित मनोवैज्ञानिक कंसलटेंसी संस्था ‘माई फिट ब्रेन’ द्वारा शांति निकेतन पब्लिक स्कूल में आज एक सेमिनार का आयोजन किया गया। ‘विशेष बच्चों के लिए मनोवैज्ञानिक विश्लेषण की आवश्यकता’ विषय पर आयोजित इस सेमिनार में बोलते हुए प्रख्यात मनोवैज्ञानिक डा. नेहा मेहता ने बताया कि अध्यापक केवल मात्र विषय अध्यापन का कार्य ही नहीं करता बल्कि वह अपने शिष्य के लिए एक कलाकार, चिकित्सक, मनोवैज्ञानिक, साथी और अभिभावक का दायित्व भी निभाता है। अनेकों बार ऐसी स्थिति आती है जब बच्चा अपने मन की परेशानी अपने माता-पिता, भाई-बहन एवं दोस्तों को भी नहीं बता पाता। ऐसे में उसकी दैनिक गतिविधियों के साथ—साथ उसकी शैक्षणिक गतिविधियां भी बाधित होती हैं।
अध्यापक को एक मनोवैज्ञानिक की तरह बच्चे की ‘फेस रीडिंग’ और अन्य क्रिया कलापों पर पैनी नजर रखते हुए उसकी परेशानी के लक्षणों को समझना चाहिए और इसी के अनुरुप बच्चे से बातचीत करते हुए उसकी समस्या को हल करना चाहिए। प्रत्येक बच्चे का स्वभाव और आदतें भिन्न—भिन्न होती हैं, अध्यापक के साथ बच्चे का सर्वाधिक समय बीतता है इसलिए वे उनका बेहतर ध्यान रख सकते हैं।
बच्चे कच्चे घड़े के समान होते हैं और इस समय जो आदतें पड़ जाती हैं वे उम्रभर उनके साथ रहती हैं। यही वह समय है जब बच्चे के बिगड़ने की संभावनाएं सर्वाधिक होती हैं, और इसी समय उसको सही राह दिखाकर उज्जवल भविष्य की नींव रखी जा सकती है।
चेयरमैन पपेन्द्र ज्याणी और प्रिंसीपल राजेन्द्र ने डा. नेहा गर्ग का इस महत्वपूर्ण मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद किया और विद्यालय की ओर से प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय की सामाजिक जटिलताओं के चलते बच्चों के मनोविज्ञान को जानना अति आवश्यक है। भविष्य में अध्यापकों के साथ साथ विद्यार्थियो के लिए भी अन्य विषयों पर इस प्रकार के अन्य सेमिनार करवाए जाएंगे।
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