हरियाणा हिसार

सुरजेवाला मानसिक रूप से विक्षिप्त व्यक्ति- गंगवा

हिसार।
एस वाई एल के लिए नेता प्रतिपक्ष अभय सिंह चौटाला के द्वारा चलाये जा रहे अभियान को प्रदेश के किसानों का अभूतपूर्व समर्थन मिल रहा है। इसी कारण प्रदेश की भाजपा सरकार के अलावा कांग्रेस की भी नींद उड़ी हुई है। इसी कारण कांग्रेस नेता इनेलो के बारे में अनर्गल बयान बाजी कर रहे है। यह बात इनेलो विधायक रणवीर गंगवा ने कांग्रेस विधायक रणदीप सुरजेवाला के उस बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कही जिसमे उन्होंने एसवाईएल न बनने के लिए इनेलो को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने सुरजेवाला के बयान को मानसिक रूप से विक्षिप्त व्यक्ति द्वारा दिया गया बयान बताते हुए कहा कि गद्दार तो स्वयं सुरजेवाला है जिन्होंने पंजाब के उस चुनावी घोषणा पत्र को जारी किया जिसमें हरियाणा को एक बूंद भी पानी न देने की बात कही थी। रणवीर गंगवा ने सुरजेवाला को एस वाइ एल पर कुछ भी बोलने से पहले अपने ज्ञान को दुरुस्त करने की सलाह दी। इनेलो विधायक गंगवा ने कहा कि जब 1966 में हरियाणा बना तो पंजाब व हरियाणा का पानी का बंटवारा भी हुआ था परंतु कांग्रेस सरकार में इसे 10 वर्ष तक दबाए रखा बाद में जननायक चौधरी देवीलाल के संघर्ष के दबाव में 1976 में एक मसौदा बना कर फिर ठंडे बस्ते में डाल दिया। 1977 में देवीलाल के मुख्यमंत्री बनने के बाद पंजाब को एस वाइ एल के लिए जमीन अधिगृहित करने के लिए पैसे जारी किये। परन्तु बाद की कांग्रेस सरकारों ने फिर इसको कानूनी रूप से उलझा दिया। गंगवा ने कहा कि कांग्रेस ने तो राजीव लौंगोवाल समझौते के माध्यम से भी प्रदेश के हितों पर कुठाराघात करने की कोशिश की थी, जिसमे चंडीगढ़ पंजाब को देने के साथ साथ एस वाई एल के लिए दोबारा से कमेटी गठित करके इसे ठंडे बस्ते में डालने की योजना थी। परन्तु चौधरी देवीलाल के संघर्ष की बदौलत कांग्रेस कामयाब न हो सकी और 1987 में लोकदल को 90 में से 85 सीट जीताकर इस प्रदेश से कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया। सत्ता में आने के बाद फिर से तत्कालीन मुख्यमंत्री देवीलाल ने नहर के निर्माण का कार्य तेज किया और अधिकतर कार्य पूरा भी करवा दिया। इसके बाद फिर से कांग्रेस सरकार ने इस मामले को अदालत में उलझा दिया। 1999 में इनेलो के फिर से सत्ता में आने के बाद अदालत में पैरवी करके पहले 2002 में व फिर 2004 में हरियाणा के हक में फैसला करवाया। आज भी सुप्रीम कोर्ट ने इनेलो सरकार के समय दिए गए फैसले पर अपनी मोहर लगाई है।
कांग्रेस ने तो आजतक इस पर केवल राजनीति की है अगर कांग्रेस गम्भीर होती तो 2005 से लेकर 2007 तक हरियाणा, पंजाब के साथ साथ केंद्र में भी उनकी सरकार थी तो वे एस वाई एल का पानी प्रदेश को दिला सकते थे लेकिन उस वक्त प्रदेश के किसी भी कांग्रेस नेता ने एस वाई एल को लेकर कोई प्रयास नही किया यंहा तक कि 2005 से 2014 तक परदेस कांग्रेस सरकार की तरफ से अदालत में भी कोई प्रयास नही किया गया। आज कांग्रेस अपनी गिरती साख को बचाने के लिए मात्र घड़ियाली आंसू बहा रहे है।

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