हिसार,
हरियाणा कॉटन एण्ड जिनर मिलर एसोसिएशन के प्रतिनिधियों की शिष्ट मण्डल हरियाणा प्रदेश व्यापार मण्डल के प्रानतीय अध्यक्ष व हरियाणा कान्फैड के पूर्व चैयरमेन बजरंग दास गर्ग से उनके निवास स्थान पर मिला। शिष्ट मण्डल ने कॉटन मिलरों की समस्याओं के बारे में पूरी जानकारी दी। गर्ग ने मिलरों को हर प्रकार का सहयोग करने का आश्वासन दिया।
व्यापार मण्डल के प्रांतीय अध्यक्ष बजरंग दास गर्ग ने उपस्थित उद्योगपतियों से बातचीत करते हुए कहा कि बड़े अफसोस की बात है कि हरियाणा सरकार ने कपास पर मार्केट फीस 2 प्रतिशत से घटाकर 80 पैसे प्रतिशत करने की घोषणा 1 अगस्त 2016 से करने के बावजूद भी अभी तक कपास पर मार्केट फीस कम नहीं की। यह प्रदेश के कॉटन उद्योगपति व किसानों के साथ धोखा करना है। सरकार की वायदा खिलाफी व मार्केट फीस ज्यादा होने के कारण काफी संख्या में कॉटन उद्योग हरियाणा से पलायन कर चुके हैं। अगर सरकार ने जल्द ही अपने वायदे के अनुसार कपास पर मार्केट फीस कम नहीं की तो कॉटन उद्योग हरियाणा से बन्द हो जाएगा।
हरियाणा सरकार कपास पर 1 अगस्त 2016 से मार्केट फीस कम करके कॉटन उद्योगपतियों का जो लगभग 50 करोड़ रूपये से ज्यादा मार्केट बोर्ड में जमा है, उसे ब्याज सहित रिफण्ड करे। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार ने कपास पर मार्केट फीस कम करने के विज्ञापन सभी राष्ट्रीय समाचार पत्रों मे देकर सरकार की बहुत बड़ी उपलब्धी बताई थी। प्रकाशित विज्ञापन में दावा किया गया था कि हरियाणा सरकार ने कपास पर मार्केट फीस कम करके किसानों को बहुत बड़ी राहत दी है। इस विज्ञापन के मार्केट कमेटियों के बाहर होर्डिंग भी लगाए गए थे। लेकिन अभी तक कपास पर मार्केट फीस कम ना करने व उद्योगपतियो के करोड़ो रूपये रिफण्ड ना करने से प्रदेश के कॉटन मिलरो व किसानों में बड़ा भारी रोष है।
प्रान्तीय अध्यक्ष बजरंग दास गर्ग ने कहा कि सरकार ने हरियाणा में टेक्सटाइल हब बनाने की घोषणा 18 महीने से की हुई है, मगर अभी तक उस पर कोई भी काम शुरू नहीं हुआ है। जब हरियाणा में कॉटन उद्योग ही सुरक्षित नहीं होगा तो हरियाणा में टेक्सटाइल उद्योग कैसे कामयाब होगा।
उन्होंने कहा जब तक सरकार पहले से स्थापित उद्योगों को सुविधाएं व रियायतें नहीं देगी तब तक हरियाणा में कोई भी पड़ोसी राज्य का उद्योगपति व विदेशी कम्पनियां हरियाणा में उद्योग लगाने की गलती नहीं करेगी। हरियाणा सरकार को अपने वायदे के अनुसार कपास पर मार्केट फीस तुरन्त प्रभाव से कम करनी चाहिए।
देश में जी.एस.टी. के तहत एक टैक्स होने के बाद तो देश में मार्केट फीस 1 जुलाई 2017 से ही समाप्त होनी चाहिए थी, जो केन्द्र सरकार ने अभी तक नहीं की। केन्द्र सरकार को भी अपनी घोषणा के अनुसार मार्केट फीस को पूरी तरह समाप्त करके देश के किसानों को राहत देने का काम करना चाहिए ताकि किसानों को फसल के उचित दाम मिल सके।