फ़तेहाबाद (साहिल रुखाया)
करीब 23 साल पहले मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की एक शख्स ने कैसे चंबल की घाटी में जान बचाई थी— इसका खुलासा रतिया के खालसा कालेज में पीएन पद पर तैनात कालूराम ओड़ के निवास पर जलपान कार्यक्रम में पहुंचे मुख्यमंत्री ने खुद किया।
कनेक्ट द पीपल कार्यक्रम के तहत सूबे के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर शुक्रवार को रतिया में कालूराम ओड़ के निवास पर पहुंचे तो मुख्यमंत्री ने खुलासा किया कि 23 साल पहले डाकुओं के इलाके चंबल घाटी में सफर करते समय रतिया के एक युवक ने उनकी जान बचाई थी। उन्हीं बदौलत वे आज जिंदा है और सूबे के मुख्यमंत्री है।
ये थी घटना:
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बताया कि नवगठित भाजपा का पहला सम्मलेन मुंबई में 1985 में हुआ। जिसमें उत्तर भारत से वर्कर एक स्पेशल ट्रेन में गए। सम्मेलन के वापस आते हुए हिमाचल व दिल्ली के वर्करों का एक डिब्बे में झगड़ा हो गया। जब उन्हें सूचना मिली तो वे एक स्टेशन पर उतर कर जिस डिब्बे में झगड़ा हो रहा था उसमें चले गए। करीब एक घंटे बाद दोनों के बीच समझौता करवाकर वापस अपने डिब्बे में आने पर स्टेशन पर उतरे। लेकिन वहां ट्रेन चंद मिनट रूकी। इसके चलते वो अपने डिब्बे तक नहीं पहुंच पाए। भाग कर एक डिब्बे में चढ़े, लेकिन उस डिब्बे का दरवाजा बंद था। उन्होंने बताया कि दरवाजे के पास बैठे लोग दरवाजा नहीं खाेल रहे है। उन्हें भय था कि ट्रेन चंबल घाटी से गुजर रही थी। उस दौरान चंबल घाटी लूट की घटनाएं अधिक होती थी, लोगों मुझे चंबल का लुटेरा समझकर ड़र रहे थे। सर्दियों के दिनों में वो करीब एक घंटे तक बाहर लटकते रहे। इस दौरान वो ठंड में बेहाश होकर गिरने लगे तो कालूराम ने दरवाजा खोल कर उन्हें बचा लिया।
संघ के प्रचारक थे तो पहचान लिया :
कालूराम ने बताया कि उनके डिब्बे में विभिन्न प्रांतों के वर्कर थे, कोई भी दरवाजा नहीं खोलने देना चाहते थे। जब वो दरवाजा खोलने गए थे लोगों ने विरोध किया, लेकिन उन्होंने खिड़की से मनोहर लाल को पहचान लिया। इसके बाद उन्हें दरवाजा खोला कर डिब्बे के अंदर लाए तो मनाेहर लाल का पूरा शरीर ठंडा पड़ गया था। उन्हें शरीर की मालिक करके बड़ी मुश्किल में होश में लाए।