खेत—खलिहान हिसार

ग्वार की पछेती बिजाई किसान 15 जुलाई तक पूरी कर लें: डा. बी.डी. यादव

हिसार,
खरीफ की फसल के सीजन को ध्यान में रखते हुए क्षेत्र में ग्वार की अधिक बिजाई करने व ग्वार की उत्पादकता बढ़ाने के मकसद से जिले के गांव रावत खेड़ा में ग्वार फसल पर प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। इसमें किसानों को ग्वार की पछेती बिजाई, बीजोपचार, संतुलित खाद का प्रयोग व अनावश्यक खरपतवारनाशक दवाईयों का प्रयोग न करने को लेकर विस्तार से जानकारी दी गई। शिविर में कृषि विकास अधिकारी डॉ. महीपाल सिंह मुख्यातिथि थे तथा इसकी अध्यक्षता डॉ. बलविन्द्र सिंह कृषि विकास अधिकारी ने की।

ग्वार की उन्नत किस्में अपनायें
शिविर के दौरान ग्वार विशेषज्ञ डॉ. बी.डी. यादव ने ग्वार की उन्नत किस्में एचजी 365, एचजी 563 व एचजी 2-20 ही बीजने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि एचएयू से सम्पर्क करके उन्नत व प्रमाणिक किस्मों का बीज खरीद सकते हैं। इसके अलावा किसी भी सरकारी संस्था व सरकार द्वारा सिफारिश सैन्टर से भी बीज खरीदा जा सकता है। उन्होंने कहा कि ग्वार की बिजाई के लिए जून माह का दूसरा पखवाड़ा सबसे उचित है। इस दौरान सिंचित क्षेत्रों में जिन किसानों के पास नहर का पानी उपलब्ध था या ट्यूबवेल का अच्छी किस्म का पानी लगाकर काफी किसानों इस दौरान बिजाई की है।

हिसार जिले के ज्यादात्तर बारानी क्षेत्रों में जो वर्षा पर अधारित है पिछले सप्ताह मध्यम से अच्छी बारिश हो गई है और काफी किसानों ने इस बारिश पर ग्वार की बिजाई कर चुके हैं। ग्वार विशेषज्ञ ने किसानों को बताया कि अगर कोई किसान किसी कारण अब तक बिजाई नहीं की है तो अभी भी वे ग्वार की पछेती बिजाई 15 जुलाई तक पूरी कर लें, परन्तु पछेती बिजाई करने पर पैदावार में कमी आएगी। बिजाई से पहले बीज उपचार करना बहुत जरूरी है। बीज उपचार के लिए 3 ग्राम कार्बन्डाजिम-50 प्रति किलो बीज के हिसाब से सूखा उपचारित करने के बाद ही बिजाई करें। बीज उपचार करने में मात्र 15 रूपये प्रति एकड़ खर्चा आता है। उन्होंने किसानों को आगाह किया कि ट्यूबवेल का खारा या तेलिया (सोडिक) पानी का बिजाई के लिए तथा बाद में खड़ी फसल में कदापि इस्तमाल न करें।

खाद का प्रयोग
खाद की मात्रा पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि 35 किलो डीएपी या 100 किलो सिंगल सुपर फास्फेट प्रति एकड़ बिजाई के समय ड्रिल करें जहां सिंगल सुपर फास्फेट का प्रयोग किया जा रहा है वहां 15 किलो यूरिया बिजाई के समय खेत की जुताई करते समय छिड़काव करें। जिस जमीन में जिंक की कमी है वहां किसानों को सलाह दी जाती है कि वो अपने खेतों में 10 किलो जिंक सल्फेट (21 प्रतिशत) प्रति एकड़ बिजाई के समय प्रयोग करें।

मुख्यातिथि डॉ. महीपाल सिंह ने कहा कि कृषि विभाग के अधिकारी ग्वार विषेषज्ञ टीम के साथ मिलकर ग्वार की आधुनिक तकनीक को बढ़ावा देने के लिए पिछले पांच साल से ट्रेनिंग आयोजित कर रहे हैं जिसके परिणाम अच्छे निकल कर आ रहे हैं और आगे भी ग्वार फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए दोनों के संयुक्त प्रयास जारी रहेगें। इस प्रोग्राम को बढ़ावा देने के लिए कृषि विभाग हिसार की अहम भूमिका रही है। इस प्रोग्राम को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने किसानों को फसल बीमा योजना अपनाने को जोर दिया तथा इस स्कीम की फायदे के बारे में अवगत कराया।

कृषि विकास अधिकारी डॉ. हरदीप भाटिया ने किसानों को सलाह दी कि किसी भी फसल की बिजाई से पहले अपने खेत की मिट्टी व पानी की जांच अवश्य करायें तथा खाद का उपयोग मिट्टी की जांच के आधार पर करें। इस ट्रेनिग में एचएयू के कृषि वैज्ञानिक डॉ. राकेश सांगवान ने किसानों को बी.टी. नरमा में आने वाली बीमारियों के बारे में पूरी जानकारी दी।

इसके साथ-साथ उन्होंने ने किसानों को नरमा फसल पर आक्रमण करने वाले कीटों व उनकी रोकथाम के बारें में बताया। शिविर में 48 किसानों ने भाग लिया तथा हर किसान को बीजोपचार की एक-एक एकड़ की दवाई तथा इसके लिए एक जोड़ी दस्तानें नि:शुल्क दिये गए। इस अवसर पर गांव के प्रगतिशील किसान वजीर सिंह, मुकेश,विनोद कुमार, साधुराम, मान सिंह, सुभाष, वेदप्रकाश आदि मौजूद थे।

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