आदमपुर(अग्रवाल)
कहते है कि जब मन में हौंसला हो और कुछ कर गुजरने की इच्छा दिल में हो तो उड़ान को पंख लग ही जाते है। ऐसा ही आदमपुर के गांव सदलपुर की 8 बेटियों ने अपनी मेहनत व लगन के दम पर भारतीय फुटबाल में शामिल होकर एक नया इतिहास रच दिया है। एक ही गांव की 8 लड़कियोंं का भारतीय फुटबॉल टीम में शामिल होना अपने आप में गौरव की बात है।
चुनी गई लड़कियों में मनीषा गोलकीपर, रीतू, कविता, पूनम, किरण, निशा, वर्षा और अंजू शामिल हैं। भूटान में 9 से 18 अगस्त तक साउथ एशिया फुटबाल फैडरेशन चैंपियनशिप (सैफ) की अंडर-15 चैम्पिशियनशिप में भाग लेने के लिए मंगलवार को रवाना हुई। इस चैंपियनशिप के लिए चुनी गई 23 लड़कियों में से 8 लड़कियां गांव सदलपुर की अलग-अलग ढाणियों से हैं। जो एक ही एकेडमी से तैयार होकर इस मुकाम तक पहुंची हैं।
पिछले 6 साल से प्रैक्टिस कर रही चैंपियनशिप में इन लड़कियों की भिड़ंत मालदीव, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, पाकिस्तान और श्रीलंका की टीम से होगी। ये सभी गांव चूली बागडिय़ान में विनोद फुटबाल एकेडमी से खेलकर यहां पहुंची हैं। पिछले 6 साल से प्रैक्टिस कर रही हैं। मनीषा, कविता और पूनम इस चैंपियनशिप में तीसरी बार हिस्सा लेंगी, जबकि अंजू दूसरी बार भाग लेगी। सभी के अंतरराष्ट्रीय स्तर की फुटबाल प्रतियोगिता में चयन होने पर गांव में जश्न का माहौल है।
गांव के शमशान घाट में पै्रक्टिस कर पहुंची इस मुकाम पर
इन लड़कियों ने जब अपने कोच विनोद कुमार की देखरेख में फुटबाल खेलना शुरू किया तो इनके सामने सबसे बड़ी समस्या मैदान की थी। मैदान न मिलने पर भी इन लड़कियों ने हार नही मानी। इन्होंने गांव के शमशान घाट में ही खेलना शुरू कर दिया। कई दिन तक इन्होंने शमशान घाट में ही अभ्यास किया। कोच और लड़कियों की लगन देख समराथल स्कूल ने कुछ गांव के लोगों के साथ मिलकर इनके लिए मैदान बनवाया साथ ही लड़कियों ने खुद चंदा इकट्ठा कर खेल के मैदान में बाड़ लगवाई।
शुरूआत में इस एकेडमी में कुछ लड़कियां जुड़ी थी लेकिन धीरे-धीरे ये कारवां बढ़ता गया और अब लगभग 40 के आसपास लड़कियां इस एकेडमी में है। इस एकैडमी में गांव की लडकियां चूल्हा चौका व झाडू पोचा करने के बाद फुटबाल खेलने के लिए जाती हैं। जब लड़कियों से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि इस एकैडमी तक आने के लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा है। पड़ोसियों व गांव वालों के ताने सुनने पड़े लेकिन घरवालों का साथ उन्हें आगे बढऩे की प्रेरणा देता रहा है।
पूरा गांव करता है इनके जज्बे को सलाम
ये सभी लड़कियां गांव से दूर खेतों में रहती है जिनकी दूरी 10 से 15 किलोमीटर है ये स्कूल से अपने खेतों में जाकर अपने मां बाप का हाथ बढ़ाती है और शाम 4 बजे ये लड़कियां साइकिल लेकर खेल के मैदान में पहुंचती है और सुबह व शाम 2-2 घंटे रोजाना अभ्यास करने के बाद घर लौटती है। इनके परिवार के लोग खेती करते है और पूरी तरह से अनपढ़ है लेकिन कोच के प्रयास से ये लोग भी अपनी बच्चियों को फुटबाल खिलाने पर राजी हो गए। पूरी तरह ग्रामीण परिवेश में रहने वाले ये बच्चे अपनी जिद के पक्के है इन लड़कियों ने फुटबाल खेलने की धुन में अपने बाल तक कटवा डाले। इसलिए इनके जज्बे को पूरा गांव सलाम करता है ।